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नैसर्गिक विपत्तियों के शिकार 14 ज़िलों के केसरी कार्ड धारक किसानों की प्लेट से रोटी ग़ायब

आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा  है,  महाराष्ट्र सरकार ने  नैसर्गिक विपत्तियों के शिकार 14 ज़िलों के केसरी कार्ड धारक किसानों को राशन की दुकानों से मिलने वाले 3 किलो गेहूँ का वितरण बंद कर दिया है. सरकार द्वारा उन्हें सिर्फ़ चावल देने का आदेश निर्गत किया गया है.


ग़ौर तलब है कि नैसर्गिक विपत्तियों के शिकार 14 ज़िलों के लगभग 10 लाख केसरी कार्ड धारक किसानों को राशन की दुकानों से 3 किलो गेहूँ और 2 किलो चावल दिया जा रहा था.


अनेक जगहों से केसरी कार्ड धारक किसानों को सिर्फ़ 1 किलो चावल दिए जाने की शिकायत प्राप्त हो रही है. 


मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (MPJ) ने अकोला, अमरावती, औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, परभनी और यवतमल आदि ज़िलों में जिलाधिकारी के माध्यम से मेमोरेंडम दे कर सरकार से उन किसान लाभार्थियों को पहले की तरह राशन की दुकानों से 3 किलो गेहूँ और 2 किलो चावल दिए जाने की मांग की है.










कृषि उपज की क़ीमत पर किसानों को सुरक्षा प्रदान करे सरकार: एम.पी.जे.


 


प्रदेश की जानी मानी जन आन्दोलन मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर ने रविवार को अकोला और यवतमाल में  एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर के भारत सरकार द्वारा विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए किसानों को उनके सफ़ल जन आन्दोलन के लिए बधाई दिया है. एमपीजे ने  इसे किसानों की जीत, संविधान और प्रजातंत्र की जीत बताते हुए किसानों को उनके उपज पर क़ीमत की सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है.

 

एमपीजे ने कृषि उत्पादों के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र (Price Security Mechanism) लागू करने हेतु अविलम्ब आवश्यक क़दम उठाए जाने का अनुरोध किया है. इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम क़ीमत पर की गई ख़रीद को ग़ैर क़ानूनी घोषित किए जाने की मांग की है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि, किसान चाहे अपने उत्पाद मंडी में बेचे या मंडी से बाहर, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर अपने उत्पाद बेचने के लिए मजबूर न होना पड़े.

 

एमपीजे के प्रवक्ता हुसैन खान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि, सरकार ने जन दबाव में इन विवादग्रस्त कानूनों को  वापस ले लिया है, ये अच्छी बात है. लेकिन इन कानूनों की वापसी किसानों और खेत मजदूरों की समस्याओं का हल नहीं है. क्योंकि देश में कृषि संकट इन विवादास्पद कानूनों से पहले भी था, जो आज भी ज्यों का त्यों है. इन तीनों क़ानूनों ने तो किसानों की समस्याओं को और बढ़ाने का काम किया है. इसलिए एमपीजे भारत सरकार से किसानों के कल्याण के मद्देनज़र निम्नलिखित मांग करती है:

 

  • किसानों और उनके प्रतिनिधियों के साथ रचनात्मक संवाद,
  • सभी कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी,
  • किसान आन्दोलन के दौरान दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाएँ और
  • आन्दोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवज़ा दिया जाए

 

हुसैन खान ने कहा कि, सरकार से हम अनुरोध करते हैं कि जन हित में सरकार किसानों की समस्याओं पर जल्द से जल्द विचार करे और उन्हें न्याय दे.










Kisan Andolan Nahin Jan Andolan Hai

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