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Consultation on "Closure of Pre-matric Scholarships to Class 1 to 8 students and its impact on the learning ability of poor & vulnerable students"

 



MPJ organised a Consultation on "Closure of Pre-matric Scholarships to Class 1 to 8 students and its impact on the learning ability of poor & vulnerable students" on 10 December 2022 at Mumbai Press Club. In which many Dr. Bhalchandra Mungkar, former chairman of the University Grant Commission, Mr. Sarfaraz Arzu, Editor of Hindustan Urdu Daily, Prof. Sunil Kadam, Advocate Rakesh Rathod and many other social workers were present.

  

MPJ Organized a Stakeholders' Consultation Meeting on the “Poor Learning Outcomes in School Education” in Mumbai.

 



Education is one of the most powerful tools for breaking the poverty cycle.  It is the only vehicle, which can bring equality to society.   But the poor quality of education has caused poor learning outcomes in our country and the poor learning outcome is pushing our children out of the education system. Ultimately, the drop-outs are forced to join child labour and the unorganised sector.


Movement for Peace and Justice for Welfare (MPJ) a public movement working for the betterment of the people of Maharashtra, organized a consultation meeting on the “Poor learning outcomes in school education on Saturday, 24th September 2022 at Anjuman-I-Islam College in Mumbai. This event got an overwhelming response from all the stakeholders. People from the teaching community, civil society, academics, government and parents were present in large numbers.


Mr. Muhammad Anees gave a brief overview of the current situation of poor learning outcomes in school education. Prof. Sharad Jawadekar, a retired teacher from Pune University and a well-known education activist, Dr. Sandhya Mhatre, a researcher and education activist, Mr. Ashfaq Ahmad, Education Officer, Mr. Faheem Abdul Bari from All India Ideal Teachers Association, Mr. Syed Habib representing the Education department of Jamaat-e-Islami Hind and members of All India Samajwadi Shikshan Haq Sabha were part of the panel of experts.


The panelists stressed the importance of increasing public spending on education and raising awareness among the community to take ownership and accountability to run and manage the schools.


Dr Kazim Malik announced MPJ’s plan to hold local-level consultation meetings on the issue at different locations in Maharashtra to engage all the stakeholders and aware them of the problems and challenges associated with school education.  





 

देश में केजी से पीजी तक तालीम मुफ़्त होनी चाहिए

प्रो. शरद जावड़ेकर सभा को संबोधित करते हुए 

पुणे: देश में मुफ़्त और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार क़ानून लागू होने के बावजूद प्राथमिक शिक्षा को लेकर अनेक समस्याएँ हैं. इसी मुद्दे पर आज यहाँ देश की प्रतिष्ठित जन आन्दोलन मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे)  के द्वारा एक वर्कशाप का आयोजन किया गया.  सभा को संबोधित करते हुए एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने कहा कि, किसी भी समाज और देश के विकास में शिक्षा की अहम भूमिका होती है. जिहालत की वजह से ग़रीबी, बीमारी और अशांति जैसी विभिन्न समस्याओं का जन्म होता है. किसी भी समाज में शिक्षा के बिना सार्थक तबदीली की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. 


शिक्षा मानव जीवन का मूल आधार होता है. यही वजह है कि, शिक्षा हर व्यक्ति का मूल अधिकार माना जाता है. हमारे देश में भी अशिक्षा की वजह से बहुत सारी सामाजिक बीमारियों ने जन्म लिया है. लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे देश में अभी तक शिक्षा को हर व्यक्ति का मूल अधिकार तस्लीम नहीं किया गया है. देश में वर्ष 2009 में मुफ़्त और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार क़ानून बना, जिसने शिक्षा को 6 से 14 साल के बच्चों का मौलिक अधिकार बनाया. लेकिन इस क़ानून ने प्राथमिक शिक्षा की क्वालिटी को बेहतर बनाने में अब तक कोई भूमिका नहीं निभाई है. देश में प्राथमिक शिक्षा का स्तर बहुत गिर गया है, जो बहुत ही चिंता जनक है.


आर टी ई कृति समिति के अध्यक्ष प्रो. शरद जावड़ेकर ने इस अवसर पर कहा कि, ब्रिटेन में वर्ष 1832 में ही शिक्षा को हर नागरिक का मूल अधिकार घोषित कर दिया गया. लेकिन हमारे देश में वर्ष 2009 में मूल अधिकार तस्लीम किया गया, वह भी सिर्फ़ 8 वीं क्लास तक. इसका मतलब ये है कि, सरकार आठवीं क्लास तक बच्चों को पढ़ा कर सिर्फ़ दीहारी मज़दूर बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि शिक्षा केजी से पीजी तक फ्री होनी चाहिए.

 

सभा को संबोधित करते हुए शिक्षाविद प्रो. काजिम मलिक ने देश में प्राथमिक शिक्षा के गिरते हुए स्तर और ख़राब क्वालिटी पर चिंता व्यक्त करते हुए, शिक्षा के अधिकार क़ानून में स्कूल प्रबंधन समिति की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने पालकों को स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करते हुए स्कूल के प्रबंधन में जन भागीदारी को सुनिश्चित करने का आव्हान किया. इस वर्कशॉप में विभिन्न सामाजिक संगठनों, पालकों और शिक्षाविदों की बड़ी तादाद मौजूद थी.

 

 

 

प्री-मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की राशी में वृद्धि के साथ साथ इनकम सर्टिफिकेट जमा करने की शर्त को ख़त्म करे सरकार: एम पी जे



प्री-मैट्रिक स्तर पर छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक समुदायों से माता-पिता को अपने स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शुरू किया गया था. इस योजना का मक़सद स्कूल शिक्षा पर ग़रीब माता-पिता के वित्तीय बोझ को हल्का करने और स्कूल ड्राप आउट की दर को कम करना था और शिक्षा के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों का सशक्तिकरण कर के उनके सामाजिक आर्थिक स्थितियों में परिवर्तन लाना था. किन्तु ये योजना भी प्रथम दिन से ही लालफीताशाही का शिकार रही है.

 

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान शुरू से ही विवादित रहा है. महाराष्ट्र सरकार को केंद्र सरकार से छात्रवृत्ति निधि प्राप्त होने के बावजूद वर्षों तक बच्चों को छात्रवृत्ति के पैसे नहीं दिए गए थे. एमपीजे ने इसके लिए सड़क से लेकर अदालत तक एक सफल लड़ाई लड़ी है. एमपीजे के ही न्यायिक हस्तक्षेप के बाद राज्य में इस योजना के तहत पहली बार बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान किया गया था. मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे ) शुरू से ही स्कालरशिप की लड़ाई लड़ती आई है.


गौर तलब है कि, महाराष्ट्र में प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (2020-21) के लिए लाखों नए और नवीकरण आवेदन ऑनलाइन प्रस्तुत किए गए हैं. हमेशा की तरह इस बार भी, संबंधित स्कूलों और शिक्षा कार्यालयों ने राज्य नोडल अधिकारी को सत्यापित आवेदन पत्र अग्रेषित किए थे.

 

किन्तु, ज्ञात हुआ है कि, महाराष्ट्र राज्य के नोडल अधिकारी ने अपने पत्र दिनांक 18 और 21 जनवरी 2021 के संदर्भ में सभी नए और नवीकरण आवेदन वापस कर दिए हैं, और सक्षम प्राधिकारी से आय प्रमाण पत्र के प्रमाण की मांग करते हुए सभी आवेदनों को फिर से सत्यापित करने का निर्देश दिया है. गौर तलब है कि, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आय प्रमाण के रूप में स्व घोषणा/शपथ पत्र को आय प्रमाण के रूप में माना जाता है, किन्तु अल्पसंख्यक के मामले में सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्गत आय प्रमाण पत्र को फिर से सत्यापित करने का आदेश दिया गया है, जो समझ से परे है.

एम पी जे ने महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधान मंत्री को ज्ञापन सौंप कर इनकम सर्टिफिकेट जमा करने की शर्त को ख़त्म करने और स्व घोषणा / शपथ पत्र को आय प्रमाण के रूप में मानने का अनुरोध किया है. इसके अलावा प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक स्कालरशिप की राशि को बढ़ाने का भी अनुरोध किया है.    










शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में अध्यनरत छात्रों का भविष्य अधर में




शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क अध्ययन करने वाले हज़ारों ग़रीब छात्रों के सामने एक संकट खड़ा हो गया है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत वंचित और कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिए कक्षा 8 तक निजी स्कूलों में 25% आरक्षित सीटों पर नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है. 

सर्वविदित है कि, देश में 1 अप्रैल 2010 को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 लागू होने के बाद उक्त 25 % आरक्षित सीटों पर वंचित और कमज़ोर वर्ग के छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2011 में पहली बार प्रवेश दिया गया था.

इन आरक्षित सीटों पर अध्यनरत हज़ारों बच्चों ने इस वर्ष अपनी कक्षा 8 तक की शिक्षा पूरी कर ली है और निजी स्कूलों के प्रबंधन ने आठवीं कक्षा की शिक्षा पूरी कर चुके अपने कोटे के विद्यार्थियों को आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए आगामी सत्र से पूरी फीस का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है और फ़ीस का भुगतान नहीं करने की स्थिति में उन्हें स्कूल छोड़ने को कहा गया है.

हम सब इस तथ्य से अवगत हैं कि, कोटे के तहत प्रवेश दिये गए बच्चों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है और ये बच्चे निजी स्कूलों के फ़ीस का भुगतान नहीं कर सकते हैं. ज़ाहिर है कि, फ़ीस का भुगतान नहीं करने की स्थिति में इन बच्चों को निजी स्कूलों को छोड़ना होगा और निम्न मानकों के स्कूलों में वापस जाना होगा, जो उनके लिए मनोवैज्ञानिक रूप से दर्दनाक सिद्ध होगा. ऐसा उन ग़रीब परिवार के बच्चों के हित में नहीं होगा. उनका कैरियर बनने से पहले ही बिगड़ जायेगा.

एमपीजे ने भारत सरकार से देश के प्रत्येक बच्चे के लिए बारहवीं कक्षा तक नि:शुल्क स्कूली शिक्षा की क़ानूनी गारंटी देने के लिए आरटीई अधिनियम में संशोधन की मांग करते हुए प्रदेश सरकार से निवेदन करती है कि जब तक आरटीई अधिनियम में संशोधन नहीं हो जाता, इन हज़ारों बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूलों में 25% आरक्षित कोटे के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के लिए बारहवीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा की प्रदानगी की वैकल्पिक व्यवस्था करने का कष्ट करे. 

8.45 लाख आर्थिक रूप से कमजोर अल्पसंख्यक छात्र प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप से वंचित

Hindustan Times, Mumbai
11/09/2018 
मुंबई: महाराष्ट्र में गत छः वर्षों के दौरान भारत सरकार का अल्पसंख्यकों के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप का लाभ तकरीबन 8.45 लाख लाभार्थियों तक नहीं पहुंच सका. प्रदेश की जानी-मानी जन आन्दोलन मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से प्राप्त किया है.

एमपीजे द्वारा आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकरी ने खुलासा किया कि केंद्र सरकार की पूर्व-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए अल्पसंख्यकों के लिए अनुमोदित 37.37 लाख आवेदन के विरुद्ध इसका लाभ  केवल 28.92 लाख लाभार्थियों तक ही पहुंच पाया.

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, राज्य शेष 8.45 लाख आवेदनों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं पहुंचा पाया. ऐसा कुछ आवेदकों का डेटा खो जाने और कुछ आवेदकों को ट्रैक नहीं किया जा सका. कुछ छात्रों ने अपने बैंक खातों के बारे में गलत जानकारी दी थी, जिसके चलते उन तक लाभ नहीं पहुँच पाया.

इस बीच, 2016 में एमपीजे द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में राज्य ने अदालत को बताया कि स्कॉलरशिप की एक बड़ी राशि, जो तकनिकी कारणों से बंट नहीं पाए, भारत सरकार को वापस कर दी गई है.

अल्पसंख्यक और वयस्क शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि "कुछ छात्रवृत्तियां वितरित नहीं की जा सकी, क्योंकि कुछ छात्रों के डेटा गायब हैं; कुछ ने अपने बैंक खातों के उचित विवरण नहीं दिए हैं और  स्कूल छोड़ चुके छात्रों का सत्यापन नहीं हो सका. 

दरअसल अल्पसंख्यकों के लिए स्कूल स्तर की छात्रवृत्ति  केंद्र सरकार के 15 सूत्री कार्यक्रम का एक हिस्सा है. इस स्कॉलरशिप को आर्थिक रूप से कमज़ोर अल्पसंख्यक समुदायों के माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था.

आरटीआई के जवाब में, सरकार ने कहा कि उनके पास उन छात्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जो शैक्षिक वर्ष 2012-13 और 2013-14 में छात्रवृत्ति प्राप्त नहीं कर सके.

इस अवधि में छात्रवृत्तियां राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक के माध्यम से वितरित किया जाता था. अल्पसंख्यक और वयस्क शिक्षा के निदेशक दिनकर पाटिल ने कहा, "हमें जो भी डेटा उपलब्ध कराया गया, हमने उसका इस्तेमाल किया.


फ़िलहाल यह मामला माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

MPJ’s National Convention 2018 to be held on 3-4 February, 2018 at Kalyan


The Movement for Peace & Justice for Welfare is going to organise its national convention on 3-4 February 2018 at Kalyan of Thane district of Maharashtra. The MPJ cadre from 12 states is expected to participate in the two days’ convention. This programme is to be held at JP Resort, Near Memon Masjid, Kalyan (West), Thane (Maharashtra). The purpose of this convention is to build the capacity of MPJ's cadre on the issues of the public movement’s interest. The detailed programme is here as under:

Programme Schedule

Inaugural session
3rd February 2018, Saturday

Convener 1st  Session: Mr. Najmul Hassan, Executive Council Member, MPJ Maharashtra

Time


Description


Speaker

11:00 A.M.-11:20 A.M.
Inaugural Speech
Mr. Muhammad Ahmed, National Coordinator, MPJ
11:20 A.M.-12:00 P.M.
Reports of MPJ Maharashtra, Andhra Pradesh & Telangana
General Secretaries of the respective states.

12:00 P.M.-01:00 P.M.
Vision of MPJ
Open Session
Muhammad Siraj, President MPJ Maharashtra
01:00 P.M.-03:00 P.M.
Lunch Break
03:00 P.M.-04:30 P.M.

Social Movement:
-Introduction
-Evolution
-Achievements
-Failures
-Challenges
-Opportunities and
-Role of women

Panel Discussion: To be anchored by Mr. Mahmood Khan, Vice- President MPJ Maharashtra
Panel:
1. Mr. Khwaja Moinuddin,  President,  MPJ TS & AP
2. Mr. M.W.Zaman, Vice President,  MPJ  AP
3. Mr. Ramesh Kadam, Vice- President MPJ Maharashtra
4. Mr. Altaf Hussain,  Secretary MPJ Maharashtra
5. Dr. (Mrs.) Tasnim Bano, Secretary, MPJ Maharashtra
Concluding Words:  Mr. Nusrat Ali, National Leader, MPJ
Convener 2nd Session:
Mr. Wasi Hashmi, Executive Council Member, MPJ Maharashtra
04:30 P.M.-05:00 P.M.
Tea Break
05:00 P.M.-05:45 P.M.
Characteristics of a successful people’s movement
Mr. Syed Aziz Mohiuddin, Convener MPJ Maharashtra
05:45 P.M.-07:00 P.M.
Break
07:00 P.M.-10:00 P.M.
Public Programme on the “Current situation of the country and our responsibilities”.
1. Mr. Abdul Azeez, Convener, Supreme Council, MPJ,        Telangana 
2. Mr. Dolphy D’Souza
3. Adv. Sachin Bansole 
4. Mr. Madhukant Pathariya

Concluding Words: Mr. Nusrat Ali, National Leader, MPJ



Convener 3rd  Session: Mr. Hussain Khan, Secretary, MPJ Maharashtra

Second Day
4th February 2018, Sunday

Time


Description


Speaker
09:00 A.M.-11:30 A.M.

Current issues of the public movement’s  interest
Convener 1st  Session: Mr. Azeem Pasha, Executive Council Member, MPJ Maharashtra
1. Social Audit of the Public provisioning.
Mr. Sitaram Shelar, Social Activist
2. The long-term effects of the Jobless Growth on the society.
Mr. Muhammad Anis, Member
Executive Council,  MPJ Maharashtra
3. Privatization of basic amenities: A boon or bane
Mr. Zameer Qadri, Member of Supreme Council, MPJ Maharashtra
 4. Nagar Raj Bill
Ms. Varsha Vidya Vilas, Social Activist, Mumbai
Concluding Words:
Mr. Muhammad Ahmad, National Coordinator, MPJ
11:30 A.M.-12:00 P.M.
Tea Break

12:00 P.M.-01:00 P.M.
Scope of the People’s movement in my state
Respective state’s representatives
01:15 P.M.-03:00 P.M.           
Lunch Break
03:00 P.M.-04:00 P.M.
Priorities of People’s Movement

Mr. Mahesh Kamble,
Assistant Professor,
Tata Institute of Social Science, Mumbai


Convener 2nd Session: Mr. Atiqur Rahman, Executive Council Member, MPJ Maharashtra
04:00 P.M.-04:30 P.M.
Open session (including Q& A)  
04:30 P.M.-05:00 P.M.
Concluding Words
Mr. Nusrat Ali, National Leader, MPJ





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