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🌟बंधुता कारवां नांदेड़ में🌟



एमपीजे महाराष्ट्र का संविधान दिवस पर मुंबई से चला बंधुता कारवां नांदेड़ पहुंचा। कारवां ने नुक्कड़ सभाएं, स्ट्रीट प्लेज़ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को प्रेम, आपसी सहयोग, अमन, न्याय, और बंधुता का संदेश दिया।

शहर के रेडियंट इंस्टिट्यूट में एक इंटेलेक्चुअल चर्चा सत्र का भी आयोजन किया गया। इस चर्चा सत्र की अध्यक्षता कोंपलवार सर ने की और इसमें जिले के विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारीगण शामिल हुए।

चर्चा सत्र में, कारवां के सदस्यों ने बंधुता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बंधुता एक ऐसी शक्ति है जो हमें एकता और सामंजस्य के साथ आगे बढ़ने में मदद करती है। उन्होंने सभी लोगों से बंधुता के लिए काम करने का आह्वान किया।

कारवां के नांदेड़ आगमन पर कई सामाजिक संगठनों ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कारवां बंधुता के संदेश को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

लोगों ने कहा कि, एमपीजे महाराष्ट्र का बंधुता कारवां एक सकारात्मक पहल है। यह कारवां लोगों को प्रेम, आपसी सहयोग, अमन, न्याय, और बंधुता के संदेश के साथ जोड़ने का काम कर रहा है। यह कारवां हमारे समाज में सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है।

सशक्त आंगनवाड़ी सेहतमंद समाज मुहिम संपन्न


महाराष्ट्र में कुपोषण और एनीमिया की स्थिति गंभीर बनी हुई है. सरकार ने लोगों की पोषण और स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए उनके मुहल्ले में ही ICDS के तहत आंगनवाड़ी केंद्र की व्यवस्था की है, जहाँ महिलाओं और बच्चों को आवश्यक पोषण, स्वास्थ्य, और प्रारंभिक शिक्षा सेवाएं मिलती हैं. लेकिन आम जन को अपने पड़ोस में चल रहे आंगनवाड़ी के बारे में उचित जानकारी नहीं होने की वजह से लाभ नहीं मिल पाता है. इसके अलावा, महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी केंद्रों के अपर्याप्त संख्या के कारण कुपोषण और एनीमिया जैसी गंभीर समस्या से निपटने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है.



एमपीजे ने आंगनवाड़ी पर  1 जुलाई से 31 जुलाई तक राज्य व्यापी जन जागृति अभियान चला कर आंगनवाड़ी केंद्रों के बारे में जनता को जागृत करने का प्रयास किया. इसके अलावा एमपीजे ने राज्य सरकार से आबादी के मुताबिक आंगनवाड़ी केंद्र स्थापित करने और इसकी सेवाओं तक सभी लोगों की पहुँच सुनिश्चित करने की मांग की है. इसके साथ ही, किशोरियों को नियमित रूप से पूरक पोषण प्रदान करने की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया है.






















MPJ का पंद्रह दिवसीय "मरीज़ों का अधिकार अभियान" संपन्न

 


MPJ का पंद्रह दिवसीय राजयव्यपी "रूग्णांचे हक्क अभियान"  मरीज़ों के अधिकार के चार्टर को पूरी तरह लागू करने और स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा इसके पालन को सुनिश्चित करने हेतु अपनी मांग को लेकर सम्पन्न हो गया। अभियान के अन्तिम चरण में MPJ  ने विभिन्न ज़िलों में ज़िलाधिकारी के कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया तथा ज़िलाधिकारी के माध्यम से माननीय आरोग्य मंत्री को मेमोरेंडम सौंप कर उनसे जनहित में इन मांगों को अविलम्ब पूरा करने का अनुरोध किया. 



प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर के मीडिया द्वारा सरकार तक बात पहुँचाने की कोशिश की गई. साथ ही MPJ ने इस बात की घोषणा की कि, संविधान के अनुसार "स्वास्थ्य सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है", किन्तु ये अधिकार हमें नहीं मिल रहा है. इसलिए अपने इस अधिकार को पाने के लिए MPJ आंदोलन करेगी.








































MPJ ने मरीजों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने हेतु शुरू किया "रूग्णांचे हक्क अभियान"

 

 MPJ ने महाराष्ट्र में मरीजों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने हेतु  १५ दिवसीय राज्यव्यापी "रूग्णांचे हक्क अभियान" शुरू किया.

ये अभियान 1 जून 2023 से 15 जून 2023 तक चलेगा 





हमारे देश में अक्सर अस्पतालों और नर्सिंग होम की मनमानी को लेकर ख़बरें प्रकाशित होती रहती हैं. कोरोना काल में मरीजों से जबरन वसूली, घटिया सेवा और इलाज में लापरवाही भी अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बन चुकी हैं. आप ने बिना डिग्री और योग्यता के झोला छाप डॉक्टरों द्वारा अस्पताल चलाए जाने की ख़बरें भी पढ़ी होंगी. प्राइवेट अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल प्रोफेशनल्स के बजाए होमियोपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को मरीज़ों का इलाज करते हुए भी देखा होगा. ग़रीब मरीज़ की मौत हो जाने पर प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम के द्वारा लाश नहीं दिए जाने की बात भी सुनी होगी. कई बार आप ने मरीज़ों के परिजनों को अस्पताल में हंगामा मचाते हुए भी देखा होगा. इस प्रकार की ख़बरें सेवा देने और लेने वाले के बीच के संबंधों को बयान करती हैं.

 

ग़ौर तलब है कि, डॉक्टर और रोगी का रिश्ता सिर्फ़ हेल्थ सर्विस ख़रीदने और बेचने वाले का नहीं होता है. रोगी जब किसी अस्पताल या नर्सिंग होम में आता है, तो उस समय अपनी सेहत और ज़िन्दगी को लेकर चिंतित रहता है. ऐसे समय में मरीज़ और डॉक्टर के संबंधों को सेहतमंद होना चाहिए और मरीज़ के साथ अस्पताल का रवैया सहानुभूति पूर्ण होना चाहिए. लेकिन आम तौर पर दोनों पक्षों के दरम्यान रिश्ता ख़रीदने और बेचने वाले का होता है. लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब, सेवा प्रदाता अपनी सेवा पर लागत कम रखने और मरीजों से ज़्यादा से ज़्यादा वसूलने की कोशिश करता है.

 

डॉक्टर और रोगी के रिश्ते को बेहतर बनाए रखने के लिए महाराष्ट्र में वर्ष 1950 से महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट लागू है. ये क़ानून प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है. इस कानून ने मरीज़ों को कुछ अधिकार दिया है, जिसे मरीजों से छिना नहीं जा सकता है. लेकिन अक्सर लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होने की वजह से उन्हें उनका हक़ नहीं मिल पाता है.

 

मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (MPJ ) ने महाराष्ट्र में लोगों को मरीज़ों के अधिकारों से जागरूक करने के लिए एक राज्य व्यापी पंद्रह दिनों का “मरीज़ों का अधिकार अभियान” शुरू किया है, जिसके तहत अवाम को बताने की कोशिश की जा रही है कि, बीमारी की कैफ़ियत, बीमारी का कारणप्रस्तावित देखभाल, इलाज के अपेक्षित परिणाम, संभावित जटिलताओं और इलाज पर होने वाले ख़र्च आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना, महिला रोगी की जांच एक महिला की उपस्थिति में करना और अस्पताल/नर्सिंग होम द्वारा चार्ज किए जाने वाले विभिन्न उपचारों के लिए रेट कार्ड अस्पताल/नर्सिंग होम में एक प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित होना आदि हर मरीज़ का अधिकार है. किसी को भी इन अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. किन्तु खेद का विषय ये है कि, प्रदेश में मरीज़ को अधिकार देने वाले इस कानून का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है. ये अभियान 1 जून 2023 से 15 जून 2023 तक चलेगा.

 

जब बात अधिकारों की होती है तो मरीजों की कुछ जिम्मेदारियां भी हैं, जिस का हर मरीज़ या उसके परिजनों को पालन करना है. MPJ की ये जन जागृति मुहीम है. इस अभियान के तहत लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों और शासन को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने का काम किया जाएगा. प्रदेश सरकार से 1950 से ही लागू महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट के सफ़ल क्रियान्वयन की मांग की जाएगी.









बंधुता अभियान का उद्देश्य व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित कराने वाली बंधुता को बढ़ावा देना है


मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर ने बंधुता के संवर्धन हेतु एक राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत की है। एमपीजे का यह "बंधुता अभियान" संविधान दिवस 26 नवम्बर 2022 को शुरू हुआ जो मानवाधिकार दिवस अर्थात 10 दिसम्बर को संपन्न होगा।  

इस अभियान का मूल उद्देश्य समाज में बंधुता को बढ़ावा देना है। दूसरे शब्दों में, इस अभियान का उद्देश्य भारत के संवैधानिक विचार को बढ़ावा देना है, जो अपने सभी नागरिकों को व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।

अभियान के प्रथम चरण में अभियान के सुचारु रूप से संचालन हेतु एमपीजे ने प्रदेश के तमाम ज़िलों के  कार्यकर्ताओं का बंधुता और संवैधानिक मूल्यों पर क्षमता निर्माण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया.  कार्यशाला में संविधान संवर्धन पर कार्य करने वाले विशेषज्ञों ने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया. 












नैसर्गिक विपत्तियों के शिकार 14 ज़िलों के केसरी कार्ड धारक किसानों की प्लेट से रोटी ग़ायब

आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा  है,  महाराष्ट्र सरकार ने  नैसर्गिक विपत्तियों के शिकार 14 ज़िलों के केसरी कार्ड धारक किसानों को राशन की दुकानों से मिलने वाले 3 किलो गेहूँ का वितरण बंद कर दिया है. सरकार द्वारा उन्हें सिर्फ़ चावल देने का आदेश निर्गत किया गया है.


ग़ौर तलब है कि नैसर्गिक विपत्तियों के शिकार 14 ज़िलों के लगभग 10 लाख केसरी कार्ड धारक किसानों को राशन की दुकानों से 3 किलो गेहूँ और 2 किलो चावल दिया जा रहा था.


अनेक जगहों से केसरी कार्ड धारक किसानों को सिर्फ़ 1 किलो चावल दिए जाने की शिकायत प्राप्त हो रही है. 


मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (MPJ) ने अकोला, अमरावती, औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, परभनी और यवतमल आदि ज़िलों में जिलाधिकारी के माध्यम से मेमोरेंडम दे कर सरकार से उन किसान लाभार्थियों को पहले की तरह राशन की दुकानों से 3 किलो गेहूँ और 2 किलो चावल दिए जाने की मांग की है.










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