एमपीजे ने अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के अवसर पर राज्य में
मज़दूरों को उनके अधिकारों के प्रति जागृत करने तथा सरकार से मज़दूरों के साथ न्याय
करने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित किये. इन कार्यक्रमों में बड़ी तादाद में
मज़दूर उपस्थित रहे. अकोला में आयोजित एमपीजे के मज़दूर हक़ परिषद के तहत इस
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एमपीजे के प्रदेश उपाध्यक्ष प्राध्यापक महमूद खान
ने कहा कि मुल्क में आर्थिक गतिविधियों में लगे लोगों में बहु संख्य असंगठित
कामगार हैं. लगभग देश की 94% आबादी असंगठित क्षेत्र से अपनी जीविकापार्जन का कार्य
कर रहे हैं. इनमें अधिकांश लोग पढ़े लिखे नहीं होते. उन्हें नियमित काम नहीं मिलता
और उन्हें उचित मज़दूरी भी नहीं मिलती है. यह लोग अपने अधिकारों से अनभिज्ञ होते
हैं. इन मज़दूरों का राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान है. देश की जीडीपी मज़दूरों के
बिना अकल्पनीय है. आज इन्हें सामाजिक सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है. देश
का निर्माण करने वाले मज़दूरों की आर्थिक दशा बड़ी ही दयनीय है. इन्हें इन्साफ़
दिलाना सभ्य समाज का कर्तव्य है. इस अवसर पर एमपीजे महाराष्ट्र के सचिव हुसैन खान
ने बांधकाम मज़दूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए, सरकार से इसे
आसान बनाने की मांग की.
मज़दूरों को जागृत करने हेतु लातूर ज़िले के उदगीर तालुके में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लेबर मूवमेंट से जुड़े वरिष्ठ नेता श्री रंगा राचुरे ने सरकार से देश के मजदूरों के साथ बरसों से हो रहे अन्याय को समाप्त करने की मांग करते हुए मज़दूर कल्याण हेतु ठोस क़दम उठाने की मांग की.