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एमपीजे की टीम ने बाढ़ प्रभावित कोंकण के महाड़ का दौरा किया, पीड़ितों को उनका हक़ दिलाने के लिए लांच किया इनफार्मेशन सेंटर




मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एमपीजे) की टीम ने भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित महाड़ का दौरा किया. महाड़ में इस प्राकृतिक आपदा की वजह से अनेक लोगों की जानें गई हैं और ज़बरदस्त माली नुक़सान हुआ है. एमपीजे की टीम ने सरकारी अधिकारीयों, पीड़ित परिवारों और स्थानीय सामाजिक संगठनों से इस विपदा के चलते हुई जानी-माली नुक़सान और सरकारी सहायता हासिल करने पर चर्चा की.




पीड़ित परिवारों से बात करने पर पता चला कि, महाराष्ट्र सरकार द्वारा घोषित की गई, फ्लड रिलीफ हासिल करने के लिए मुख्य आधार प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा पंचनामा है. पीड़ितों ने बताया की सरकारी अधिकारी पंचनामा करने में कई गड़बड़ियां कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि, लोगों को पंचनामे की कॉपी नहीं दी जा रही है. इसके अलावा पीड़ित परिवारों से सरकारी अधिकारी बिना भरे फॉर्म पर हस्ताक्षर ले रहे हैं. उन्हें नहीं मालूम की बाद में उस फॉर्म में क्या भरा जाएगा. इसके अलावा कुछ लोगों ने बताया कि, एक घर में तीन भाइयों का परिवार रहता है और तीनों के अलग-अलग राशन कार्ड हैं. लेकिन पंचनामा सिर्फ़ एक परिवार का किया जा रहा है, बाक़ी परिवारों को छोड़ दिया जाता है.




एमपीजे ने सरकारी सहायता देने के लिए हो रहे पंचनामे में गड़बड़ियों के मद्दे नज़र स्थानियों सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर पीड़ितों को उनका हक़ दिलाने के लिए कार्य करने का निर्णय लिया है. एमपीजे  स्थानीय संगठन वी केयर फाउंडेशन के साथ मिलकर इस मुद्दे पर कार्य करेगी. साथ ही लोगों की सहायता के लिए एमपीजे ने मानगाँव में एक इन्फार्मेशन सेंटर की स्थापना किया है, जहाँ से लोगों को विभिन्न सरकारी सहायता और सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने हेतु आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा.



एमपीजे की टीम में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज, उपाध्यक्ष अफ़सर उस्मानी, तंजीम अंसारी और एमपीजे रायगढ़ ज़िला समन्वयक आरिफ़ कर्बेलकर शामिल थे. 







MPJ ने महाराष्ट्र सरकार से कोंकण के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, पानी, भोजन और स्वास्थ्य सेवाएँ शीघ्र बहाल करने की मांग की

 कोंकण में बाढ़, तूफ़ान से निपटने के लिए ठोस नीति बनाए सरकार


मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम पी जे) ने महाराष्ट्र सरकार को एक मेमोरेंडम सौंप कर बाढ़ से प्रभावित कोंकण में बिजली, पानी, रेडी मेड फ़ूड और सैनिटेशन एवं हेल्थ केयर सेवा लोगों को अविलम्ब उपलब्ध कराने की मांग की थी. 


दरअसल
पिछले सप्ताह भारी बारिश के बाद कोंकण के राय गढ़, रत्ना गिरी और सिंधुदुर्ग जिलों में ज़बरदस्त तबाही हुई है. बड़ी तादाद में लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया है.  चिपलून और महाड शहर के निवासी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए बताए जाते हैं. आप को बता दूं कि, बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जिनके पास पहनने को कपड़े तक नहीं हैं.

प्रभावित इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को पर्याप्त भोजन और पानी नहीं मिल पा रहा है. अब बाढ़ का पानी प्रभावित क्षेत्रों के विभिन्न हिस्सों में घट रहा है. लेकिन जो घर, दुकानें और प्रतिष्ठान पानी में डूबे थे, उनमें अब कीचड़ भरा हुआ है. जिसकी वजह से कीड़े मकोड़े और मच्छर के साथ साथ बदबू आदि से लोगों को परेशानी हो रही है. बीमारी फैलने का खतरा अलग है.  


इस विकट परिस्थिति में मुव्ह्मेन्ट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम पी जे) राज्य सरकार से प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के लिए चिकित्सा और खाने के लिए तैयार भोजन सहित पानी और बिजली जैसी आवश्यक आपूर्ति सेवाओं की बहाली का अनुरोध किया था. एम पी जे सरकार से प्रभावित इलाक़ों में कम्युनिटी किचन स्थापित कर के हालात सामान्य होने तक मुफ़्त भोजन उपलब्ध कराने की भ मांग की है. इसके साथ ही अतिशीघ्र प्रभावित लोगों के पुनर्वास हेतु आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.


कोंकण के लिए बारिश, बाढ़ और तूफ़ान कोई नई बात नहीं है, बल्कि तक़रीबन हर साल यहाँ के लोगों का भारी बारिश, बाढ़ और तूफान से सामना होता है और तबाही देखने को मिलती है, लेकिन आज तक इन प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कोई ठोस नीति नहीं बन सकी. ये एक गंभीर विषय है और महाराष्ट्र सरकार से संगठन ने इस मुद्दे पर गंभीरता से गौर करने की अपील की है.













लॉकडाउन के दौरान संसाधन विहीन लोगों को होने वाली परेशानियों को दूर करने हेतु सरकार उचित क़दम उठाए






देश में कोरोना वायरस नामी प्राकृतिक आपदा की वजह से संपूर्ण लॉकडाउन है, जिसके कारण जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. लोग घरों में क़ैद हो गए हैं. हमारे यहाँ तक़रीबन 94% लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और इनमें अधिकांश रोज़ कमाने खाने वाले लोग हैं. प्रदेश में बड़ी तादाद में अप्रवासी कामगार भी रहते हैं. लॉकडाउन की वजह से न केवल निजी और असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों की आमदनी बन्द हो गई है, बल्कि होटल, रेस्टोरेंट और समस्त खाने के काउंटर्स बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.  इसके अलावा आंगनवाड़ी, बालवाड़ी, स्कूल आदि बन्द होने के कारण ग़रीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मिड डे मील  के तहत मिलने वाले एक वक़्त के भोजन की सुविधा भी छिन गई है.

एम पी जे ने प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों के मददे नज़र मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर निम्नलिखित मांगे रखी हैं:

1.     तमाम राशनकार्ड धारकों, चाहे किसी भी केटेगरी का कार्डधारक हो, दो महीने का राशन मुफ़्त मिलना चाहिए.
2.    तमाम रजिस्टर्ड बांधकाम मजदूरों के खाते में कम से कम 5000/- (पांच हज़ार रूपए) उनके वेलफेयर फण्ड से जमा होना चाहिए.
3.    प्रदेश सरकार द्वारा तमाम अनरजिस्टर्ड बांधकाम मज़दूरों तथा अन्य असंगठित क्षेत्र कामगारों को मिनिमम वेजेज़ एक्ट के अनुसार दो महीने की पगार अविलम्ब दिया जाना चाहिए.
4.    समस्त सामाजिक पेंशन लाभार्थियों के खाते में दो महीनों का पेंशन जमा होना चाहिए.
5.    प्रदेश में जगह जगह शिव थाली का प्रबंध किया जाना चाहिए.
6.    सरकार द्वारा कम्युनिटी किचन की व्यवस्था कर के प्रभावित लोगों को अविलम्ब राहत पहुँचाने का काम करना चाहिए.


इसके अलावा एम पी जे ने लॉकडाउन के दौरान राहत तथा जन कल्याण कार्यों के लिए प्रदेश सरकार को अपनी सेवाएँ भी पेश की हैं.  

एमपीजे तर्फे जलयुक्त शिवार प्लॅनच्या पारदर्शकता आणि योजनेचे स्वतंत्र आढावा घेणेची मागणी




जलयुक्त शिवार योजने अंतर्गत नियोजीत कामांबाबत महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस यांना जिल्हाधिकारी मार्फत मुव्हमेंट फॉर पीस अँड जस्टीस फॉर वेल्फेअर (एमपीजे) च्या वतीने निवेदन देण्यात आले. ५ डिसेंबर २०१४  च्या शासन निर्णयनुसार "सर्वांसाठी पाणीटंचाईमुक्त महाराष्ट्र -२०१९" ही मध्यवर्ती संकल्पना असलेल्या जलयुक्त शिवार योजनेचे  नियोजन केले होते. या अंतर्गत दरवर्षी महाराष्ट्रातील ५ हजार गावे पाणी टंचाईमुक्त करण्याचे ठरविले. 



मात्र आजपर्यंत या अभियानअंतर्गत येणारे कामाची समीक्षा झाली नसल्याचा आरोप या निवेदनातून एमपीजे यवतमाळचे जिल्हाध्यक्ष प्रा.सय्यद मोहसीन यांनी केला आहे. तसेच लाभाबाबत सामान्य जनतेपासून तर सामाजिक संस्थेपर्यंत सर्वांनी प्रश्नही उपस्थित  केले. या अभियानाच्या पारदर्शकतेबाबत लोकांमध्ये असंतोष असल्याचे त्यांनी म्हटले, त्यामुळे मुख्यमंत्री साहेबांनी या कामाबाबात आढावा घ्यावा, संकेतस्थळावर याची सविस्तर माहिती द्यावी, कामांचे निष्पक्ष व स्वतंत्र सर्वेक्षण करावे या आशयाचे निवेदन जिल्हाधिकारी मार्फत मुख्यमंत्र्यांना पाठविले आहे.



 

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