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कृषि उपज की क़ीमत पर किसानों को सुरक्षा प्रदान करे सरकार: एम.पी.जे.


 


प्रदेश की जानी मानी जन आन्दोलन मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर ने रविवार को अकोला और यवतमाल में  एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर के भारत सरकार द्वारा विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए किसानों को उनके सफ़ल जन आन्दोलन के लिए बधाई दिया है. एमपीजे ने  इसे किसानों की जीत, संविधान और प्रजातंत्र की जीत बताते हुए किसानों को उनके उपज पर क़ीमत की सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है.

 

एमपीजे ने कृषि उत्पादों के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र (Price Security Mechanism) लागू करने हेतु अविलम्ब आवश्यक क़दम उठाए जाने का अनुरोध किया है. इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम क़ीमत पर की गई ख़रीद को ग़ैर क़ानूनी घोषित किए जाने की मांग की है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि, किसान चाहे अपने उत्पाद मंडी में बेचे या मंडी से बाहर, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर अपने उत्पाद बेचने के लिए मजबूर न होना पड़े.

 

एमपीजे के प्रवक्ता हुसैन खान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि, सरकार ने जन दबाव में इन विवादग्रस्त कानूनों को  वापस ले लिया है, ये अच्छी बात है. लेकिन इन कानूनों की वापसी किसानों और खेत मजदूरों की समस्याओं का हल नहीं है. क्योंकि देश में कृषि संकट इन विवादास्पद कानूनों से पहले भी था, जो आज भी ज्यों का त्यों है. इन तीनों क़ानूनों ने तो किसानों की समस्याओं को और बढ़ाने का काम किया है. इसलिए एमपीजे भारत सरकार से किसानों के कल्याण के मद्देनज़र निम्नलिखित मांग करती है:

 

  • किसानों और उनके प्रतिनिधियों के साथ रचनात्मक संवाद,
  • सभी कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी,
  • किसान आन्दोलन के दौरान दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाएँ और
  • आन्दोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवज़ा दिया जाए

 

हुसैन खान ने कहा कि, सरकार से हम अनुरोध करते हैं कि जन हित में सरकार किसानों की समस्याओं पर जल्द से जल्द विचार करे और उन्हें न्याय दे.










Kisan Andolan Nahin Jan Andolan Hai

किसानों को न्याय दे सरकार: एम पी जे

 



मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम पी जे) महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना ने किसानों को न्याय देने की अपील करते हुए सरकार से किसानों की समस्याओं को हल करने का अनुरोध किया है. ग़ौर तलब है कि एम पी जे ने पहले भी विवादित तीन कृषि क़ानून को रद्द करने की मांग की थी.


एम पी जे शुरू से ही किसानों की समस्याओं को उठाती रही है और इन तीन क़ानूनों को लेकर कृषि विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है कि, ये क़ानून न केवल किसान विरोधी हैं, बल्कि आम आदमी विरोधी भी हैं.


इसलिए संगठन ने इन क़ानूनों को रद्द करने और एम एस पी से नीचे की खरीद को अवैध घोषित करने की मांग सरकार से की है.


एम पी जे महाराष्ट्र में विभिन्न जिलों में अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर किसानों को न्याय दिलाने हेतु प्रयासरत है.


प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर एम पी जे किसानों के हितार्थ धरना-प्रदर्शन कर रही है. इसके अलावा एम पी जे ने प्रदेश के विभिन्न भागों में ज़िला प्रशासन के माध्यम से मेमोरेंडम दे कर सरकार से किसानों की समस्याओं को हल करने का अनुरोध किया है.


























सरकार किसान विरोधी कृषि विधेयकों को वापस ले और कृषि उपज की कीमत पर किसानों को सुरक्षा प्रदान करे: एम.पी.जे.

मुंबई: देश में विवादास्पद कृषि बिलों के विरोध में किसान सड़कों पर उतर आए हैं.  ये तीन विवादास्पद कृषि बिल न केवल किसान विरोधी हैं बल्कि आम आदमी विरोधी भी हैं. उल्लेखनीय है कि,  “आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020” में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, और आलू- प्‍याज़ आदि को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान जनहित में नहीं है. भले ही सरकार अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, और आलू- प्‍याज़ आदि को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटा दे, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि, ये कृषि उत्पाद जीवन-यापन के लिए आवश्‍यक वस्तुएं हैं. इस संशोधन से इन खाद्य वस्तुओं के उत्पादन, भंडारण, संचालन और वितरण पर से सरकारी नियंत्रण ख़त्म हो जाएगा और व्यापारी इन उत्पादों की जमाखोरी करेंगे और इसका सीधा असर आम जन की जेब पर पड़ेगा.

 

दुसरे कृषि विधेयक “कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020” में एक ऐसे इकोसिस्टम बनाने की बात की जा रही है, जहां किसान और व्यापारी मंडी से बाहर फ़सल बेचने के लिए आज़ाद होंगे.

इस से मंडिया ख़त्म होंगी और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ेगा. क्योंकि मंडी से बाहर मूल्य निर्धारित होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था अप्रासंगिक हो जाएगी और MSP स्वतः ख़त्म हो जाएगा, जो देश के तक़रीबन 85% किसानों के हित में नहीं होगा. इसके अलावा मंडी ख़त्म होने का असर हजारों कमीशन एजेंट, लाखों मंडी मज़दूर और भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों पर पड़ेगा, जो देश के वर्त्तमान आर्थिक संकट को और बढ़ाने का कारण बनेगा. 

 

तीसरे कृषि विधेयक “कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020” के द्वारा किसानों को आज़ादी देने की बात की जा रही है, लेकिन कांट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी और किसान कॉर्पोरेट का ग़ुलाम बन कर रह जाएगा. मूल्य आश्वासन विधेयक, मूल्य शोषण के खिलाफ किसानों को सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी मूल्य निर्धारण के लिए तंत्र (Price Fixation Mechanism) की बात नहीं करता है. स्पष्ट है कि निजी कॉरपोरेट घरानों को दिए जाने वाले फ्री हैंड से किसानों का शोषण होगा.


श्रीमान से निवेदन है कि, उपरोक्त क़ानूनों  के लागू होने के बाद कृषि क्षेत्र भी कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका सीधा नुक़सान किसानों के साथ साथ आम जन को होगा. इसलिए आप से निवेदन है कि, जनहित में इन किसान और जन विरोधी विधेयकों को वापस करने का कष्ट करें और देश के किसानों को न्याय प्रदान करें. इसके साथ ही कृषि उत्पादों के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र लागू करने हेतु आवश्यक क़दम उठाए जाएँ. इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम क़ीमत पर की गई ख़रीद को ग़ैर क़ानूनी घोषित किया जाए ताकि, ये सुनिश्चित हो सके कि, किसान चाहे अपने उत्पाद मंडी में बेचे या मंडी से बाहर, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर अपने उत्पाद बेचना न पड़े.


राज्य की प्रसिद्ध जन आंदोलन मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर आज महाराष्ट्र के कई जिलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स के माध्यम से देश  के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंप कर तीनों विवादास्पद बिलों को  वापस लेने की गुहार लगाई है. आज अकोला, अमरवाती, परभणी, जलगाँव, नांदेड़, जालना, नागपुर, शोलापुर, नाशिक, यवतमल,पुणे, ठाणे और औरंगाबाद जिलों सहित प्रदेश के अनेक जिलों में ज्ञापन सौंप कर किसान एवं जन विरोधी बिलों को वापस करने और कृषि उत्पाद के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र निर्धारित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने का आह्वान भी किया है, ताकि किसान एपीएमसी बाजारों में या बाजारों के बाहर अपनी उपज बेचे उसे अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके. 



Amravati



Akola


Jalgaon


Jalna


Nashik


Nagpur


Nanded


Parbhani

एमपीजे ने महाराष्ट्र के विभिन्न ज़िलों में किसानों की समस्याओं पर ज़िलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन

महारष्ट्र में एमपीजे द्वारा चलाये गए किसान अधिकार अभियान के अंतिम चरण में प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर किसानों को उनका न्यायोचित हक़ देने का अनुरोध किया गया है. यह ज्ञापन प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री को भेजा गया है.


























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एमपीजे का किसान अधिकार अभियान- तस्वीरों के ज़बानी










    










































































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