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अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याणार्थ योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करे सरकार: एमपीजे




एमपीजे ने अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर नांदेड़ और लातूर ज़िलों में जन सभा का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी रही. सभा में उपस्थित तमाम लोग इस बात पर सहमत दिखे कि सर्वसमावेशी विकास के बिना भारत एक विकसित देश नहीं बन सकता है और देश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जीवन के हर क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे हैं. इसलिए सरकार को अविलम्ब मुस्लिम समुदाय के कल्याणार्थ बनी समस्त योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान देना चाहिए. इस अवसर पर एमपीजे ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दे कर १५ सूत्री कार्यक्रम और मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के कार्यान्वयन की समीक्षा किये जाने और इस के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की मांग की.  


महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग मुंबई के उपाध्यक्ष श्री जे.एम. अभ्यंकर साहेब के साथ सरकारी विश्राम कार्यालय, लातूर में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें अल्पसंख्यक योजनाओं के कार्यान्वयन के संबंध में चर्चा हुई.














एमपीजे ने 17 नवम्बर को सच्चर दिवस मनाया


मुंबई: मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिये सच्चर समिति के सिफ़ारिश पर प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने को ले कर आज सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्यव्यापी स्तर पर विरोध जताते हुए महाराष्ट्र सरकार से मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए त्वरित एवं समुचित क़दम उठाने की फरियाद की.

आपको बता दें कि भारत सरकार ने वर्ष 2005 में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति की समीक्षा करने हेतु जस्टिस राजेंद्र सच्चर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. उक्त समिति ने 17 नवंबर 2006 को सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश कर के मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक दुर्दशा पर चौंकाने वाले तथ्य सामने लाया था.

इसके अलावा मह्मूदुर रहमान समिति ने भी मुस्लिम समुदाय की चिंताजनक सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर तत्काल कदम उठाने की पूर ज़ोर वकालत की थी. लेकिन सच्चर समिति की रिपोर्ट पेश होने के इतने वर्षों बाद भी मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बाद से बदतर होती जा रही है और यह समुदाय ग़रीबी और पिछड़ेपन के दलदल से निकाले जाने के लिए उन त्वरित विशेष कदम का इंतजार कर रही है, जिसकी सिफ़ारिश सच्चर समिति की रिपोर्ट में की गई थी.

एमपीजे ने मुसलमानों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित करने हेतु 17 नवम्बर को महाराष्ट्र में राज्यव्यापी स्तर पर सच्चर डे मनाया. एमपीजे सच्चर समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने हेतु महाराष्ट्र सरकार से पहले दिन से ही गुहार लगाती रही है.

संगठन ने 17 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र के हर ज़िले में जिलाधिकारी के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत करके सच्चर समिति एवं महमूदूर रहमान कमिटी की सिफारिशों को पुर्णतः लागू करनेप्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम और एमएसडीपी का समय पर और उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने, विभिन्न अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिय जवाबदेही तय करने और सार्वजनिक निगरानी तंत्र की व्यवस्था करने का प्रबंध किये जाने, विविधता सूचकांक (Diversity Index) के आधार पर शैक्षिक अनुदान और सार्वजानिक ठेका आवंटित करने, माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के सिफ़ारिश के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने की व्यवस्था किये जाने, अल्पसंख्यकों के लिए राज्य के कल्याण के बजट को बढ़ाने, राज्य विधानसभा में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकने हेतु ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निषेध विधेयक’ लाने का प्रबंध करने, तथा सच्चर समिति की सिफ़ारिश के अनुसार एक समान अवसर आयोग और स्वायत्त आकलन तथा निगरानी प्राधिकरण का गठन करने की मांग की है.

इस अवसर पर एमपीजे अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ विशेष व्यवस्था नहीं किये जाने के विरोध में ज़िला मजिस्ट्रेट कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन का भी आयोजन किया.











8.45 लाख आर्थिक रूप से कमजोर अल्पसंख्यक छात्र प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप से वंचित

Hindustan Times, Mumbai
11/09/2018 
मुंबई: महाराष्ट्र में गत छः वर्षों के दौरान भारत सरकार का अल्पसंख्यकों के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप का लाभ तकरीबन 8.45 लाख लाभार्थियों तक नहीं पहुंच सका. प्रदेश की जानी-मानी जन आन्दोलन मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने यह जानकारी आरटीआई के माध्यम से प्राप्त किया है.

एमपीजे द्वारा आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकरी ने खुलासा किया कि केंद्र सरकार की पूर्व-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए अल्पसंख्यकों के लिए अनुमोदित 37.37 लाख आवेदन के विरुद्ध इसका लाभ  केवल 28.92 लाख लाभार्थियों तक ही पहुंच पाया.

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, राज्य शेष 8.45 लाख आवेदनों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं पहुंचा पाया. ऐसा कुछ आवेदकों का डेटा खो जाने और कुछ आवेदकों को ट्रैक नहीं किया जा सका. कुछ छात्रों ने अपने बैंक खातों के बारे में गलत जानकारी दी थी, जिसके चलते उन तक लाभ नहीं पहुँच पाया.

इस बीच, 2016 में एमपीजे द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में राज्य ने अदालत को बताया कि स्कॉलरशिप की एक बड़ी राशि, जो तकनिकी कारणों से बंट नहीं पाए, भारत सरकार को वापस कर दी गई है.

अल्पसंख्यक और वयस्क शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि "कुछ छात्रवृत्तियां वितरित नहीं की जा सकी, क्योंकि कुछ छात्रों के डेटा गायब हैं; कुछ ने अपने बैंक खातों के उचित विवरण नहीं दिए हैं और  स्कूल छोड़ चुके छात्रों का सत्यापन नहीं हो सका. 

दरअसल अल्पसंख्यकों के लिए स्कूल स्तर की छात्रवृत्ति  केंद्र सरकार के 15 सूत्री कार्यक्रम का एक हिस्सा है. इस स्कॉलरशिप को आर्थिक रूप से कमज़ोर अल्पसंख्यक समुदायों के माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था.

आरटीआई के जवाब में, सरकार ने कहा कि उनके पास उन छात्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जो शैक्षिक वर्ष 2012-13 और 2013-14 में छात्रवृत्ति प्राप्त नहीं कर सके.

इस अवधि में छात्रवृत्तियां राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक के माध्यम से वितरित किया जाता था. अल्पसंख्यक और वयस्क शिक्षा के निदेशक दिनकर पाटिल ने कहा, "हमें जो भी डेटा उपलब्ध कराया गया, हमने उसका इस्तेमाल किया.


फ़िलहाल यह मामला माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है.

लातूर: एमएसडीपी के तहत दो साल पूर्व बीस करोड़ रुपये का फण्ड रिलीज़ होने के बावजूद काम शुरू नहीं हो पाया





मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत राज्य सरकार द्वारा महाराष्ट्र के उदगीर और लातूर नगरों में विभिन्न शैक्षिणिक प्रोग्राम्स के लिए दस-दस करोड़ के दो प्रोजेक्ट्स मंज़ूर होने के बावजूद इन प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू नहीं हो पाया है. दरअसल इन परियोजनाओं के लिए मंज़ूर शुदा रक़म दो साल से ज़िला कलेक्टर के खाते में जमा है और अभी तक इन प्रोजेक्ट्स के लिए इस फण्ड का इस्तेमाल नहीं हो पाया है.



एम एस डी पी  के तहत उदगीर में लड़के और लड़कियों के लिए हॉस्टल का निर्माण, जिला परिषद के उर्दू स्कूल के भवन  का निर्माण  तथा अल्पसंख्यक आई टी आई  हेतु दस करोड़ का फण्ड मंज़ूर किया गया था. इसके अलावा लातूर में लड़के के हॉस्टल का निर्माण और अन्य शैक्षणिक संसथान की स्थापना हेतु दस करोड़ का फण्ड मंज़ूर किया गया था. उक्त परियोजनाओं हेतु ज़िला कलेक्टर के खाते में फण्ड दो साल पूर्व ही  जमा कर दिया गया था. किन्तु दो साल गुज़र जाने  के बावजूद अब तक इन परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हो पाया है.


गौर तलब है कि मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) गत कई वर्षों से अल्पसंख्यकों के विकास हेतु एम एस डी पी  एवं अन्य कार्यक्रमों को समय पर समुचित ढंग से लागू करने हेतु सरकार से गुहार लगाती आई है.  लातूर ज़िले के इस मामले में भी एमपीजे ने म्युनिसिपल कमिश्नर को मेमोरेंडम सौंप कर अविलम्ब इन परियोजनाओं हेतु निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की है.





माइनॉरिटी डे 2017


एम् पी जे ने 18 दिसम्बर को माइनॉरिटी डे पर नांदेड ज़िले में नांदेड नगर निगम द्वारा आयोजित  एक कार्यक्रम में भाग लिया! नांदेड नगर निगम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एम् पी जे के प्रदेश सचिव अल्ताफ़ हुसैन थे! इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नांदेड़ की महापौर श्रीमती सीला भूरे ने की और इस कार्यक्रम में म्युनिसिपल कमिश्नर श्री गणेश देशमुख, डिप्टी कमिश्नर श्री रत्नाकर वाघमारे, नगर निगम के अधिकारीगण एवं अन्य कर्मी भी उपस्थित थे! इस अवसर पर एम् पी जे के प्रदेश सचिव अल्ताफ़ हुसैन ने प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को उनका अधिकार दिलाए जाने के लिए संगठन द्वारा किये जा रहे प्रयासों को लोगों के सामने रखते हुए कहा कि, एम् पी जे प्रदेश में अमन व इन्साफ की स्थापना हेतु काम करने के लिए प्रतिबद्ध है!

उल्लेखनीय है कि एम् पी जे अल्पसंख्यक समुदाय को उनका अधिकार दिलाने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रही है! संगठन ने महाराष्ट्र सरकार से सूचना के अधिकार के तहत अल्पसंख्यक कल्याण हेतु विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन पर जानकारी मांगी थी! किन्तु सम्बंधित विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में अल्पसंख्यांक योजनाओं का कार्यान्वयन नाम मात्र ही हो रहा है! इस मुद्दे को लेकर एम् पी जे ने बॉम्बे हायकोर्ट मे दो जनहित याचिका भी दायर की है!


एम् पी जे का अल्पसंख्यकों को इन्साफ दिलाने के लिए संघर्ष जारी है!









एमपीजे ने राज्यव्यापी स्तर पर सच्चर दिवस मनाया और राज्य सरकार से मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण हेतु ठोस कदम की मांग की


मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (MPJ) ने 17 नवम्बर 2017 को राज्य के तक़रीबन सभी जिलों में जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष राज्य में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याणार्थ सच्चर समिति की सिफारिशों को अविलम्ब पूर्ण रूप से लागू करने हेतु धरना-प्रदर्शन आयोजित किया और जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से राज्य सरकार को एक ज्ञापन सौंप कर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के हितों के रक्षार्थ अविलम्ब क़दम उठाने की मांग की है।

दरअसल एम् पी जे पहले भी अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण हेतु योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु सरकार से अनुरोध करती रही है। यह एक सर्वविदित तथ्य है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय अपनी खराब शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण जीवन के हर क्षेत्र में निचले पायदान पर है। यह अनेक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा गठित आयोग एवं समितियों के रिपोर्टों के माध्यम से सामने आता रहा है। तमाम सर्वे, आयोग एवं समितियों का यही निष्कर्ष रहा है कि, मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक दशा दयनीय है तथा इस समुदाय को पिछड़ेपन के दलदल से निकालने हेतु शिक्षा एवं नौकरी में आरक्षण देने जैसे विशेष उपाय करने की ज़रुरत है। रंगनाथ मिश्र और मह्मुदुर्रह्मान समिति ने भी इस समुदाय को आरक्षण देने की पुरज़ोर सिफारिश की है।
  
पिछली सरकार ने महाराष्ट्र राज्य में शिक्षा और रोजगार में मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। हालांकि माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट ने नौकरी के आरक्षण को खत्म कर दिया था, किन्तु शिक्षा में समुदाय के पिछड़ेपन को देखते हुए माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिक्षा में आरक्षण को बरक़रार रखा, जिसकी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी पुष्टि की। लेकिन आज तक मुस्लिम समुदाय को शिक्षा में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका है।

प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण और विकास के लिए बनाई गयी योजनाएं भी सिर्फ कागज़ पर ही दिखती हैं। महराष्ट्र सरकार ने इस बाबत अभी तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया है। विभिन्न स्रोतों से एकत्र जानकारी के अनुसार राज्य सरकार अल्पसंख्यक केंद्रित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास के लिए मल्टी सेक्टोरल विकास कार्यक्रम (MSDP) के धन का भी पूरी तरह उपयोग नहीं कर पायी है। जिसके चलते, मल्टी सेक्टोरल विकास कार्यक्रम का लाभ मुस्लिम क्षेत्रों तक नहीं पहुँच पाया है।

इसके अलावा अल्पसंख्यकों के विकास हेतु महाराष्ट्र सरकार द्वारा बजटीय आवंटन की राशि भी पर्याप्त नहीं है। दूसरी परेशान करने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा आवंटित इस अल्प राशि का भी ठीक ढंग से उपयोग नहीं हो पाता है। प्रदेश में अल्पसंख्यक आयोग में न तो अध्यक्ष है और न ही मौलाना आज़ाद माइनॉरिटी फाइनेंस डेवलपमेंट कारपोरेशन और महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड में फुल टाइम सीईओ।

महाराष्ट्र सरकार के जीआर संख्या:अविवि 2010/प्र.क्र.3/10/का.9 दिनांक 29/4/2011 के अनुसार प्रधान मंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु ज़िला स्तर पर एक कमिटी का गठन किये जाने का प्रावधान किया गया था, किन्तु यह कमिटी भी कई सालों से निष्क्रिय है और साल भर में एक बैठक भी नहीं कर पाती है।   

एम् पी जे ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार को मेमोरेंडम सौंप कर अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु निम्नलिखित मांगें राखी हैं:

  1. सच्चर समिति की सिफारिशों को पुर्णतः लागू किया जाए,
  2. प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम और एमएसडीपी का समय पर और उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए,
  3. माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के सिफारिश के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के आरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाया जाए,
  4. विभिन्न अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं को लागू करने वाले विभागों में सालों से रिक्त पदों पर स्टाफ की नियुक्ति की जाए,
  5. अल्पसंख्यकों के लिए राज्य के कल्याण के बजट को बढ़ाया जाए,
  6. सच्चर समिति के सिफारिश के अनुसार एक समान अवसर आयोग और स्वायत्त आकलन तथा निगरानी प्राधिकरण का गठन किया जाए।















नफ़रत के ख़िलाफ़ इंसानियत की आवाज़

मुंबई: यहाँ सोमवार को देश में गौ रक्षा के नाम पर चल रही नफ़रत की राजनीती के ख़िलाफ़ बड़ी तादाद में लोग जमा हुए! इस रैली में वाम दलों के अलावा जनता दल, आम आदमी पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी, भारतीय महिला फेडरेशन, मोवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम् पी जे)वगैरह जैसे अनेक राजनितिक एवं ग़ैर राजनितिक दल शामिल हुए! इस अवसर पर भारीप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता श्री प्रकाश अम्बेडकर ने विशाल जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा की आर एस एस की विचारधारा वाली बी जे पी के सत्तासीन होने के पश्चात् देश में नफ़रत और डर का माहौल पैदा हुआ है, जिसका शिकार मुस्लिम एवं दलित जैसे कमज़ोर वर्ग के लोग हो रहे हैं! उन्हों ने कहा कि, समाज के समस्त संवेदनशील और ज़िम्मेदार लोगों को इस नफ़रत और डर के माहौल को समाप्त करने के लिए आगे आना होगा और भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा पर लगाम लगानी होगी! 

उन्होंने ने कहा की गौ रक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के विरुद्ध
शांतिपूर्ण आन्दोलन चलाने की ज़रुरत है और धार्मिक उन्माद पैदा करने वाले और धर्म के नाम पर हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ जनजागरण अभियान भी चलाने की ज़रुरत है! श्री आंबेडकर का कहना था कि, समाज में ज़ुल्म, हिंसा और अन्याय हावी होता जा रहा है! समाज का एक विशेष वर्ग डर की हालत में जीने को मजबूर है, किन्तु सरकार की तरफ़ से कोई क़दम नहीं उठाया जा रहा है, जो न केवल अफसोसनाक है बल्कि, चिंताजनक भी है!


इस रैली में एम् पी जे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज, विधायक विद्या चौहान, आम आदमी पार्टी की प्रीती मेनन तथा आनंद पटवर्धन, अशोक धोले, सुकुमार दामले, परभाकर नारकर आदि विभिन्न दलों के लोग शामिल हुए!  

MPJ Observes Sachar Committee Day, 2016

Mumbai - Movement for Peace and Justice for Welfare (MPJ), a public movement working for the betterment of the society today conducted here a Consultation meet on the affirmative action taken by the government on the recommendations of Sachar Committee report and its impact on the community.  In fact, Sachar committee formed to study socio-economic conditions of Indian Muslims had presented its report to the government on 17th November a decade ago. This Consultation meet was well attended by the social, political, legal and community (Milli) luminaries. Many valuable suggestions came in from the attendees.


The discussion focused on the compulsion of the government to promote the idea of inclusive development and current situation of the Muslim community in the post-Sachar era.  



“Constitutionally, the state is bound to build an inclusive, plural, secular and a just society and it is a duty of the state to equitably integrate its religious minorities and other vulnerable groups.  Muslim Social exclusion is present in the society in various forms. The Muslims are socially, politically, economically, culturally, educationally segregated. Hence, Muslims of the state need immediate attention of the government and greater access to education, healthcare and other basic amenities to avoid poverty and social exclusion. Muslims need affirmative action just as much as other underprivileged groups, including Dalits and OBCs. They deserve social justice and equity as much as other deprived groups”, says Muhammad Siraj President of MPJ.

Afsar Usmani, General Secretary said that the amount of budgetary allocation by the state government for the development of minorities is also not sufficient. It needs to be enhanced substantially. The other distressing fact is that even this meager amount allocated by the government doesn’t seem to be utilized properly. It is also a fact that the communal violence has been a major concern for the people of minority communities in the state, he added. So far as the affirmative actions for the upliftment of the community is concerned, various panels had strongly recommended making special arrangements including providing reservations in education and employment, to bailout the community from the darkness of backwardness. Even Justice Rangnath Mishra and Dr. Mahmudur Rahman have strongly recommended the reservation. The reservations in jobs and education have been a very old demand of the poverty stricken community.  

Everybody knows that the previous government had made a provision of reservations for Muslims in education and employment in the state of Maharashtra. Even though Hon’ble Bombay high court had scrapped the reservation, it had maintained that the community lags behind the education and recommended reservation in the education sector. But the present BJP government has done nothing to grant the reservation in the education sector, as a result despite of Hon’ble high court’s recommendations; the Muslim community is not getting the benefits of reservation in education. 

The panel unanimously urged state government to take immediate steps to safeguard the interests of people belonging to the Muslim community and implement the BJP’s election promises, like “Sab Ka Saath Sab Ka Vikaas” by:

1.    implementing the recommendations of  Sachar and Mahmudur Rahman Committees, 
2.    ensuring the timely and proper implementation of Prime Minister’s 15 point programme and MsDP, 
3.    introducing a mechanism of accountability and public monitoring on the implementation of various minorities’ welfare schemes, 
4.    allotting educational grants and public contracts on the basis of the diversity index, 
5.    enhancing state’s welfare budget for minorities, 
6.    taking necessary steps to grant the Muslim community reservation in the education sector, as recommended by the Hon’ble Bombay High Court,
7.    bringing the 'Prevention of Communal and Targeted Violence Bill in the state assembly to combat the targeted violence against the minorities.

8.    constituting an Equal Opportunity Commission and the Autonomous Assessment and Monitoring Authority, as recommended by the Rajinder Sachar Committee.

Media: Four lakh students belonging to the minority communities were denied their pre-matric scholarship

Mumbai--- In the state of Maharashtra, about four lakh students belonging to the minority communities were denied Pre-Matric Scholarship in the last academic year due to the technical hiccups. This was admitted in an RTI reply to the Maharashtra’s Movement for Peace & justice, a well-known public movement of the state. Mr Razaullah Khan, a teacher by profession and a social activist associated with the Movement for Peace & Justice, filed an RTI application for knowing the ground reality of implementation of this much publicized minority welfare scheme, which aims to provide financial help in continuing the education and a measure to check the dropout rate among the weaker sections of the society. On 21st September, the Hindustan Times and the Indian Express published a detailed report on the issue.

To read report published by the Hindustan Times, please Click here and Click here to read the report of the Indian Express.








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