MPJ ने मरीजों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने हेतु शुरू किया "रूग्णांचे हक्क अभियान"

 

 MPJ ने महाराष्ट्र में मरीजों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने हेतु  १५ दिवसीय राज्यव्यापी "रूग्णांचे हक्क अभियान" शुरू किया.

ये अभियान 1 जून 2023 से 15 जून 2023 तक चलेगा 





हमारे देश में अक्सर अस्पतालों और नर्सिंग होम की मनमानी को लेकर ख़बरें प्रकाशित होती रहती हैं. कोरोना काल में मरीजों से जबरन वसूली, घटिया सेवा और इलाज में लापरवाही भी अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बन चुकी हैं. आप ने बिना डिग्री और योग्यता के झोला छाप डॉक्टरों द्वारा अस्पताल चलाए जाने की ख़बरें भी पढ़ी होंगी. प्राइवेट अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल प्रोफेशनल्स के बजाए होमियोपैथी और आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को मरीज़ों का इलाज करते हुए भी देखा होगा. ग़रीब मरीज़ की मौत हो जाने पर प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम के द्वारा लाश नहीं दिए जाने की बात भी सुनी होगी. कई बार आप ने मरीज़ों के परिजनों को अस्पताल में हंगामा मचाते हुए भी देखा होगा. इस प्रकार की ख़बरें सेवा देने और लेने वाले के बीच के संबंधों को बयान करती हैं.

 

ग़ौर तलब है कि, डॉक्टर और रोगी का रिश्ता सिर्फ़ हेल्थ सर्विस ख़रीदने और बेचने वाले का नहीं होता है. रोगी जब किसी अस्पताल या नर्सिंग होम में आता है, तो उस समय अपनी सेहत और ज़िन्दगी को लेकर चिंतित रहता है. ऐसे समय में मरीज़ और डॉक्टर के संबंधों को सेहतमंद होना चाहिए और मरीज़ के साथ अस्पताल का रवैया सहानुभूति पूर्ण होना चाहिए. लेकिन आम तौर पर दोनों पक्षों के दरम्यान रिश्ता ख़रीदने और बेचने वाले का होता है. लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब, सेवा प्रदाता अपनी सेवा पर लागत कम रखने और मरीजों से ज़्यादा से ज़्यादा वसूलने की कोशिश करता है.

 

डॉक्टर और रोगी के रिश्ते को बेहतर बनाए रखने के लिए महाराष्ट्र में वर्ष 1950 से महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट लागू है. ये क़ानून प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है. इस कानून ने मरीज़ों को कुछ अधिकार दिया है, जिसे मरीजों से छिना नहीं जा सकता है. लेकिन अक्सर लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होने की वजह से उन्हें उनका हक़ नहीं मिल पाता है.

 

मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (MPJ ) ने महाराष्ट्र में लोगों को मरीज़ों के अधिकारों से जागरूक करने के लिए एक राज्य व्यापी पंद्रह दिनों का “मरीज़ों का अधिकार अभियान” शुरू किया है, जिसके तहत अवाम को बताने की कोशिश की जा रही है कि, बीमारी की कैफ़ियत, बीमारी का कारणप्रस्तावित देखभाल, इलाज के अपेक्षित परिणाम, संभावित जटिलताओं और इलाज पर होने वाले ख़र्च आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना, महिला रोगी की जांच एक महिला की उपस्थिति में करना और अस्पताल/नर्सिंग होम द्वारा चार्ज किए जाने वाले विभिन्न उपचारों के लिए रेट कार्ड अस्पताल/नर्सिंग होम में एक प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित होना आदि हर मरीज़ का अधिकार है. किसी को भी इन अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. किन्तु खेद का विषय ये है कि, प्रदेश में मरीज़ को अधिकार देने वाले इस कानून का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो पाया है. ये अभियान 1 जून 2023 से 15 जून 2023 तक चलेगा.

 

जब बात अधिकारों की होती है तो मरीजों की कुछ जिम्मेदारियां भी हैं, जिस का हर मरीज़ या उसके परिजनों को पालन करना है. MPJ की ये जन जागृति मुहीम है. इस अभियान के तहत लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों और शासन को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने का काम किया जाएगा. प्रदेश सरकार से 1950 से ही लागू महाराष्ट्र नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट के सफ़ल क्रियान्वयन की मांग की जाएगी.









No comments:

Post a Comment

© Copyright 2015. MPJ, Maharashtra. This Blog is Designed, Customised and Maintained by Zinfomedia, the media arm of Brightworks Enterprises: Theme by Way2themes