मुंबई: जनता के अधिकारों पर आज यहाँ “जन अधिकार अधिवेशन”
के नाम से एक अखिल महाराष्ट्र सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश में जन
अधिकारों की प्रदानगी (Delivery) को लेकर चिंता व्यक्त की गई.
प्रदेश के अलग-अलग भागों से आए हुए आम जन को संबोधित करते
हुए “मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर” (एम पी जे) के प्रदेश अध्यक्ष, मुहम्मद सिराज ने कहा कि, देश
का संविधान समस्त नागरिकों को इज्ज़त वाली ज़िन्दगी जीने का अधिकार प्रदान करता है. लेकिन देश में भूख
की वजह से मौतें होती हैं. भारत में भूख एक बड़ी समस्या बनी हुई है. भारत दुनिया
के उन 45 मुल्कों में शामिल है जहां भूख की समस्या गंभीर है. महाराष्ट्र में 2 करोड़ से भी ज़्यादा लोग कुपोषण
के शिकार हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ प्रदेश की कुल आबादी का 30 प्रतिशत हिस्सा
ग़रीबी रेखा के नीचे ज़िन्दगी बसर करने को मजबूर है, जबकि हक़ीक़त में इस से कहीं
ज़्यादा लोग ग़रीबी रेखा से नीचे ज़िन्दगी जी रहे हैं. प्रदेश में गरीबी दर 18% है, जो राष्ट्रीय औसत के बहुत करीब है. उन्हों ने प्रदेश की बदहाल प्राथमिक शिक्षा और
पब्लिक हेल्थकेयर संस्थानों की ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आज
न तो बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिल रही है और न ही दर्जेदार आरोग्य सेवा.
इस अधिवेशन में शिक्षा के अधिकार के तहत जनता को मिल रहे
अधिकारों कि वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए प्रोफेसर सैयद मोहसिन ने कहा कि,
सरकारी स्कूलों में लर्निंग आउटकम एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है. उन्हों ने भारत
सरकार के द्वारा जारी किए गए एनुअल सर्वे ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया
कि हमारे बच्चों को दर्जेदार शिक्षा नहीं मिल रही है. इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक़
पांचवीं क्लास के तकरीबन 70% बच्चे आसान अंकगणितीय गणना (Arithmetic
Calculation) नहीं
पाते हैं. पहली क्लास के 40% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचानते. क्लास 5 के लगभग 50 प्रतिशत
छात्र क्लास दो के पाठ को ठीक ढंग से नहीं
पढ़ पाते हैं. जिसकी वजह से कमज़ोर बच्चे क्लास नौ में फ़ेल हो जाते हैं और ये स्कूल
ड्रॉपआउट बच्चे या तो असामाजिक कार्य में लिप्त हो जाते हैं या फिर असंगठित
क्षेत्र में नज़र आते हैं.
प्रदेश में आरोग्य की वर्तमान स्थिति पर हेल्थ एक्टिविस्ट
डॉ.अभिजीत ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आरोग्य ही संपत्ति है, लेकिन सरकार
की उदासीनता की वजह से प्रदेश में पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बीमार हो चूका है.
सरकार बजट कम करती जा रही है. प्रदेश में सिर्फ़ 20% लोग सरकारी अस्पतालों में जाती
है, बाक़ी लोग महंगे प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इलाज कराने को मजबूर हैं. उन्हों ने
कहा कि, सरकार के पास चंद्रयान के लिए पैसे हैं, किन्तु प्रदेश में दर्जेदार
आरोग्य सेवा की प्रदानगी के लिए पैसे नहीं हैं.
असंगठित क्षेत्र कामगारों के कल्याण और उनके अधिकारों पर
लेबर मुव्हमेंट एक्टिविस्ट मधुकांत पथारिया ने मार्गदर्शन प्रदान किया. उन्हों ने
मजदूरों को मिलने वाले लाभ में आ रही बाधाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक मज़दूर
दूसरों का घर तो अपना खून पसीना एक कर के बना डेटा है, किन्तु उसे रहने के लिए ख़ुद
के पास घर नहीं है. मजदूरों के लिए अनेक लाभों का क़ानून प्रावधान होते हुए, उन्हें
इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
इस अधिवेशन में लोगों के अधिकारों के हनन पर एक जन सुनवाई
का आयोजन किया गया. जन सुनवाई को मुंबई हाई कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह
और टाटा इंस्टिट्यूट सोशल साइंसेज के फैकल्टी मेम्बर महेश काम्बले जज किया.
इस अधिवेशन के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कार्यकर्त्ता और
भूतपूर्व आई ए एस अधिकारी हर्ष मंदर ने देश में जन अधिकारों की डिलीवरी पर चिंता
व्यक्त करते हुए जन अधिकरों की प्राप्ति पर मार्गदर्शन प्रदान किया. उन्हों ने सभा
को संबोधित करते हुए कहा कि, आज आप यहाँ जन अधिकारों की बात करने के लिए जमा हुए
हैं, लेकिन अधिकार तो नागरिकों के होते हैं. आज देशवासियों के सामने ख़ुद को नागरिक
साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
अधिवेशन में महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री
नवाब मालिक भी मौजूद थे. उन्हों ने जन सुवाई के दौरान लोगों की शिकायतें सुनीं और
भरोसा दिलाया कि उनके पास जो भी शिकायतें आती हैं, उनका समाधान करने हेतु आवश्यक
क़दम उठाया जाएगा. अधिवेशन की अध्यक्षता जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय
अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने की.
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