एमपीजे का किसान अधिकार अभियान, जो 12 दिसम्बर
को शुरू हुआ था, आज संपन्न हो गया. इस अभियान के अंतिम चरण में धुले में किसान
मेळावा आयोजित किया गया, जिस में प्रदेश के कई भागों विशेषतः मराठवाड़ा
और विदर्भ के किसानों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही. इस जन सभा को प्रसिद्ध शेतकरी
लीडर श्री विजय जावंधिया, श्री एस बी पाटिल और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता
एवं सचिव, लोक संघर्ष
मोर्चा श्रीमती प्रतिभा शिंदे ने संबोधित करते हुए किसान और सरकार की ज़िमीदारियाँ, देश में
किसानों के भूत, वर्त्तमान एवं भविष्य तथा सतत एवं सर्वसमावेशी विकास जैसे मुद्दों
पर मार्गदर्शन प्रदान किया.
इस अवसर पर जनसभा में उपस्थित किसानों द्वारा
प्रदेश में किसान समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया:
v डॉ० स्वामी
नाथन आयोग की सिफारिशों को अविलम्ब लागु किया
जाए,
v पिछले 10 साल में
आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवार को पांच लाख रुपये बतौर मुआवज़ा मिले और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.
v समर्थन मुल्य
तय करते समय कुल उत्पादन लागत पर ५०% की दर से लाभ दिया जाए,
v बिना किसी
शर्त के समस्त कृषि ऋण माफ़ किया जाए,
v किसानो और
शेतकरी मजदूरों के लिए आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा क़ानून बनाया जाए,
v सिंचाई हेतु
प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर किसानों के लिए विशेष योजना बनाई जाए और बुवाई से कटाई तक
के काम म.न.रे.गा के अंतर्गत किये जाएँ,
v कृषि कार्य
हेतु ब्याज रहित क़र्ज़ दिया जाए,
v लघु एवं
सीमान्त किसानों को ६० वर्ष की आयु के बाद पेंशन देने की योजना शुरू की जाए,
v किसानों
को सिंचाई के लिए निर्बाध रूप से बिजली उपलब्ध कराने के साथ साथ नलकूप की बिजली निःशुल्क
उपलब्ध करायी जाए,
v खेती में
काम आने वाली सभी वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त किया जाए,
v किसान को
स्वास्थ्य बीमा कार्ड प्रदान किया जाए,
v विकास परियोजनाओं
के नाम पर किसानों से बलपूर्वक भूमि अधिग्रहण पर रोक लगे एवं भूमि अधिग्रहण को केन्द्रीय
सूची में रखते हुए राज्यों को किसान विरोधी कानून बनाने से रोका जाए तथा
v प्रधानमंत्री
फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ मिलने के बजाए बीमा कम्पनियों को लाभ मिल रहा है.
योजना में बदलाव करते हुए प्रत्येक किसान को इकाई मानकर सभी फसलों में स्वैच्छिक रूप
से लागू किया जाए. योजना में बदलाव करते हुए चोरी, आगजनी आदि को शामिल किया जाए. प्रीमियम का पूर्ण
भुगतान सरकारों द्वारा किया जाए.
किसानों के उक्त मांगों को एमपीजे महाराष्ट्र
सरकार तक पहुंचायेगी.
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