मुंबई: मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के पिछड़ेपन
को दूर करने के लिये सच्चर समिति के सिफ़ारिश पर प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने को ले
कर आज सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्यव्यापी स्तर पर विरोध जताते हुए महाराष्ट्र सरकार
से मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए त्वरित एवं समुचित क़दम उठाने की फरियाद की.
आपको बता दें कि भारत सरकार ने वर्ष 2005 में मुस्लिम समुदाय
की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति की समीक्षा करने हेतु जस्टिस राजेंद्र
सच्चर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. उक्त समिति ने 17 नवंबर 2006 को सरकार
को अपनी रिपोर्ट पेश कर के मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक दुर्दशा पर चौंकाने वाले
तथ्य सामने लाया था.
इसके अलावा मह्मूदुर रहमान समिति ने भी मुस्लिम समुदाय की चिंताजनक
सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर तत्काल कदम उठाने की पूर ज़ोर वकालत की थी. लेकिन सच्चर
समिति की रिपोर्ट पेश होने के इतने वर्षों बाद भी मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक
स्थिति बाद से बदतर होती जा रही है और यह समुदाय ग़रीबी और पिछड़ेपन के दलदल से निकाले
जाने के लिए उन त्वरित विशेष कदम का इंतजार कर रही है, जिसकी सिफ़ारिश
सच्चर समिति की रिपोर्ट में की गई थी.
एमपीजे ने मुसलमानों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए सरकार का
ध्यान आकर्षित करने हेतु 17 नवम्बर को महाराष्ट्र में राज्यव्यापी स्तर पर
सच्चर डे मनाया. एमपीजे सच्चर समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने हेतु महाराष्ट्र
सरकार से पहले दिन से ही गुहार लगाती रही है.
संगठन ने 17 नवम्बर 2018 को महाराष्ट्र के हर ज़िले में जिलाधिकारी के
माध्यम से महाराष्ट्र सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत करके सच्चर समिति एवं महमूदूर रहमान
कमिटी की सिफारिशों को पुर्णतः लागू करने, प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम और एमएसडीपी का समय पर और उचित कार्यान्वयन
सुनिश्चित करने, विभिन्न अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिय जवाबदेही
तय करने और सार्वजनिक निगरानी तंत्र की व्यवस्था करने का प्रबंध किये जाने, विविधता
सूचकांक (Diversity Index) के आधार पर शैक्षिक अनुदान और सार्वजानिक ठेका
आवंटित करने, माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के सिफ़ारिश के अनुसार शिक्षा के
क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने की व्यवस्था किये जाने, अल्पसंख्यकों
के लिए राज्य के कल्याण के बजट को बढ़ाने, राज्य विधानसभा में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक
एवं लक्षित हिंसा रोकने हेतु ‘सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निषेध विधेयक’ लाने का
प्रबंध करने, तथा सच्चर समिति की सिफ़ारिश के अनुसार एक समान अवसर आयोग और
स्वायत्त आकलन तथा निगरानी प्राधिकरण का गठन करने की मांग की है.
इस अवसर पर एमपीजे अल्पसंख्यकों के कल्याणार्थ विशेष
व्यवस्था नहीं किये जाने के विरोध में ज़िला मजिस्ट्रेट कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन
का भी आयोजन किया.
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