Hindustan Times, Mumbai
11/09/2018
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मुंबई: महाराष्ट्र में गत छः वर्षों के दौरान भारत सरकार का अल्पसंख्यकों के आर्थिक
रूप से कमजोर छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप का लाभ तकरीबन 8.45 लाख लाभार्थियों
तक नहीं पहुंच सका. प्रदेश की जानी-मानी जन आन्दोलन मुव्मेंट फॉर
पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने यह जानकारी आरटीआई
के माध्यम से प्राप्त किया है.
एमपीजे द्वारा आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकरी ने खुलासा किया कि केंद्र सरकार
की पूर्व-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए अल्पसंख्यकों के लिए अनुमोदित 37.37 लाख आवेदन
के विरुद्ध इसका लाभ केवल 28.92 लाख लाभार्थियों तक ही पहुंच पाया.
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, राज्य शेष 8.45 लाख आवेदनों को स्कॉलरशिप का लाभ नहीं
पहुंचा पाया. ऐसा कुछ आवेदकों का डेटा खो जाने और कुछ आवेदकों को ट्रैक नहीं किया
जा सका. कुछ छात्रों ने अपने बैंक खातों के बारे में गलत जानकारी दी थी, जिसके
चलते उन तक लाभ नहीं पहुँच पाया.
इस बीच, 2016 में एमपीजे द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में राज्य ने अदालत को बताया कि
स्कॉलरशिप की एक बड़ी राशि, जो तकनिकी कारणों से बंट नहीं पाए, भारत सरकार को वापस कर
दी गई है.
अल्पसंख्यक और वयस्क शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि "कुछ छात्रवृत्तियां
वितरित नहीं की जा सकी, क्योंकि कुछ छात्रों के डेटा गायब हैं; कुछ ने अपने बैंक
खातों के उचित विवरण नहीं दिए हैं और स्कूल छोड़ चुके छात्रों का सत्यापन नहीं हो सका.
दरअसल अल्पसंख्यकों के लिए स्कूल स्तर की छात्रवृत्ति केंद्र सरकार के 15 सूत्री कार्यक्रम का एक हिस्सा है. इस
स्कॉलरशिप को आर्थिक रूप से कमज़ोर अल्पसंख्यक समुदायों के माता-पिता को अपने बच्चों
को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था.
आरटीआई के जवाब में, सरकार ने कहा कि उनके पास उन छात्रों के बारे
में कोई जानकारी नहीं है, जो शैक्षिक वर्ष 2012-13 और 2013-14 में छात्रवृत्ति प्राप्त नहीं कर सके.
इस अवधि में छात्रवृत्तियां राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक के माध्यम से वितरित किया
जाता था. अल्पसंख्यक और वयस्क शिक्षा के निदेशक दिनकर पाटिल ने कहा, "हमें जो भी
डेटा उपलब्ध कराया गया, हमने उसका इस्तेमाल किया.
फ़िलहाल यह मामला माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है.
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