यवतमाल:
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपी जे), जो
देश की एक जानी-मानी जन आन्दोलन है, ने महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक न्याय को लेकर जनता को
जागरूक करने के लिए महिला सशक्तिकरण सप्ताह का आयोजन किया. इस आयोजन के दौरान एमपीजे
ने महिलाओं के अधिकार, लिंग असमानता
और महिलाओं के शोषण जैसे मुद्दों पर जन जागरण का कार्य अंजाम दिया.
एमपीजे ने अपने
इस अभियान का समापन रविवार को यवतमाल में एक जनसभा आयोजित करके किया. इस सार्वजनिक
सभा में विभिन्न समस्याओं से जूझते हुए अपने
क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया, जिनमें दिव्यांग शीरीं तबस्सुम, शिक्षाविद सोनाली मरगदे और प्रोफेसर संतोषी साहोलकर शामिल हैं.
इस
अवसर पर विभिन्न सामाजिक हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए. सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र
की महिलाओं ने महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में महिलाओं
का ज़बरदस्त शोषण हो रहा है और महिलाओं की शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों
का दायरा जिला और तहसील स्तर तक नहीं बढ़ाया जा रहा है. उच्च शिक्षा से
महिलाओं को दूर रखना भी एक प्रकार का शोषण है. वक्ताओं ने बच्चियों के साथ हो रहे यौन
उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, यौन हिंसा की घटनाओं से कन्याओं के माता-पिता में खौफ का माहौल व्याप्यत है और
महिला विरोधी हिंसा, उत्पीड़न व दुर्व्यवहार के विरुद्ध सरकारी पहल केवल बजट दस्तावेजों
और फाइलों तक सीमित दिखते हैं.
इस अवसर पर महिलाओं की आर्थिक स्थिति और संवैधानिक अधिकार, महिलाओं की सामाजिक स्थिति और महिलाओं की शैक्षणिक स्थिति पर सविस्तार प्रकाश डाला गया. प्रोफेसर वर्षा निकम और अन्य वक्ताओं ने उपस्थित महिलाओं का मार्गदर्शन किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ तसनीम बानो, सचिव महिला विंग, एमपीजे ने किया.
उन्होंने बड़ी संख्या में
उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए, महिलाओं
को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए देश में मौजूद विभिन्न सरकारी योजनाओं का
ज़िक्र किया तथा इन योजनाओं से अधिक से अधिक महिलाओं को लाभान्वित होने की अपील की.
उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाना समय की मांग है. महिलाओं को उसका जाएज़ अधिकार
दिए बिना समाज में शांति, चैन और
सुकून संभव नहीं है.
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