एमपीजे का राष्ट्रिय अधिवेशन 2018 संपन्न


कल्याण: मूव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) का दो दिनों का राष्ट्रिय अधिवेशन महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के कल्याण में 4 फ़रवरी 2018 को समाप्त हो गया. इस अधिवेशन में मूव्मेंट के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना राज्यों के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. अधिवेशन में असम, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में जन आन्दोलनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी भाग लेकर एमपीजे का अपने-अपने राज्यों में विस्तार करने की इच्छा व्यक्त की.  


श्री  सीताराम शेलार, सामाजिक कार्यकर्त्ता मार्गदर्शन प्रदान करते हुए
इस दो दिनों के कार्यक्रम में जनहित के अनेक मुद्दों पर कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण हेतु विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया गया. इस अधिवेशन में देश की वर्तमान परिस्थिति एवं नागरिकों के उत्तरदायित्व पर एक आम सभा का भी आयोजन किया गया. जिसमें वक्ताओं ने अपनी राय रखते हुए देश के विकास हेतु आपसी बंधुता तथा संवैधानिक एवं लोकतान्त्रिक मूल्यों के संवर्धन हेतु कार्य करने पर बल दिया.
श्री मधुकांत पथारिया, लेबर मूव्मेंट लीडर मार्गदर्शन करते हुए
इस आम सभा को तेलंगाना से आए सामाजिक कार्यकर्त्ता श्री अब्दुल अज़ीज़, महाराष्ट्र में लेबर मूव्मेंट के अग्रणी नेता श्री मधुकांत पथारिया तथा शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता श्री सचिन बनसोडे ने संबोधित करते हुए लोगों का मार्गदर्शन किया. एमपीजे के राष्ट्रिय नेता श्री नुसरत अली ने सिविल सोसाइटी को लोकतंत्र का पांचवां स्तम्भ बताते हुए इसे मज़बूत करने तथा इसमें नौजवानों एवं महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा.

श्री महेश काम्बले, सहायक प्रोफेसर,
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज मार्गदर्शन प्रदान करते हुए
समाज के विभिन्न मुद्दों पर सोशल एक्टिविस्ट्स के क्षमता निर्माण हेतु रोज़गार विहीन विकास पर श्री मुहम्मद अनीस ने मार्गदर्शन करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े अनेक पहलुओं पर सविस्तार चर्चा की. आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के निजीकरण पर डॉ. मुहम्मद सलीम ने लोगों का मार्गदर्शन किया. जन प्रावधान का सोशल ऑडिट विषय पर श्री सीताराम शेलार, सामजिक कार्यकर्त्ता ने अपनी बातें रखते हुए जन हित में बजट मोनिटरिंग को ज़रूरी क़रार दिया.  महाराष्ट्र की जानी मानी सामाजिक कार्यकर्त्ता सुश्री वर्षा विद्या विलास ने संविधान का 74 वां संशोधन तथा नगर राज बिल पर अपने विचार रखे. 
सुश्री वर्षा विद्या विलास, सामाजिक कार्यकर्त्ता मार्गदर्शन प्रदान करते हुए
 देश में सामाजिक आन्दोलन की प्राथमिकताओं पर श्री महेश काम्बले, सहायक प्रोफेसर, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज ने प्रकाश डाला. इसके अलावा इस अधिवेशन में सामाजिक आंदोलन के क्रमागत उन्नति, उपलब्धियां, विफलताएं, चुनौतियां, अवसर और इसमें महिलाओं की भूमिका पर एक पैनल डिस्कशन भी किया गया.

इस अधिवेशन में आन्दोलन का अन्य राज्यों में विस्तार किए जाने पर भी सहमती बनी. अधिवेशन का समाज में अमन एवं इन्साफ़ की स्थापना के लिए काम करने हेतु एमपीजे की प्रतिबधता दोहराते हुए समापन हुआ.  

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