मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (MPJ) ने 17 नवम्बर 2017 को राज्य
के तक़रीबन सभी जिलों में जिलाधिकारी
कार्यालय के समक्ष राज्य में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याणार्थ सच्चर समिति
की सिफारिशों को अविलम्ब पूर्ण रूप से लागू करने हेतु धरना-प्रदर्शन आयोजित किया
और जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से राज्य सरकार को एक ज्ञापन सौंप कर मुस्लिम अल्पसंख्यक
समुदाय के लोगों के हितों के रक्षार्थ अविलम्ब क़दम उठाने की मांग की है।
दरअसल एम् पी जे पहले भी अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण हेतु योजनाओं के
प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु सरकार से अनुरोध करती रही है। यह एक
सर्वविदित तथ्य है कि मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय अपनी खराब शैक्षिक और आर्थिक
पिछड़ेपन के कारण जीवन के हर क्षेत्र में निचले पायदान पर है। यह अनेक
सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा गठित आयोग एवं समितियों
के रिपोर्टों के माध्यम से सामने आता रहा है। तमाम सर्वे, आयोग एवं समितियों का यही निष्कर्ष रहा है कि, मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षिक
और आर्थिक दशा दयनीय है तथा इस समुदाय को पिछड़ेपन के दलदल से निकालने हेतु शिक्षा
एवं नौकरी में आरक्षण देने जैसे विशेष उपाय करने की ज़रुरत है। रंगनाथ मिश्र और
मह्मुदुर्रह्मान समिति ने भी इस समुदाय को आरक्षण देने की पुरज़ोर सिफारिश की है।
पिछली सरकार ने महाराष्ट्र राज्य में शिक्षा और रोजगार
में मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। हालांकि माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट
ने नौकरी के आरक्षण को खत्म कर दिया था, किन्तु शिक्षा में समुदाय
के पिछड़ेपन को देखते हुए माननीय बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिक्षा में आरक्षण को बरक़रार
रखा, जिसकी माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी पुष्टि की। लेकिन आज तक मुस्लिम समुदाय को शिक्षा
में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका है।
प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण और विकास के
लिए बनाई गयी योजनाएं भी सिर्फ कागज़ पर ही दिखती हैं। महराष्ट्र सरकार ने इस बाबत अभी
तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया है। विभिन्न स्रोतों से एकत्र जानकारी के अनुसार राज्य
सरकार अल्पसंख्यक केंद्रित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास के
लिए मल्टी सेक्टोरल विकास कार्यक्रम (MSDP) के धन का भी पूरी तरह उपयोग नहीं कर
पायी है। जिसके चलते, मल्टी सेक्टोरल विकास
कार्यक्रम का लाभ मुस्लिम क्षेत्रों तक नहीं पहुँच पाया है।
इसके अलावा अल्पसंख्यकों के विकास हेतु महाराष्ट्र
सरकार द्वारा बजटीय आवंटन की राशि भी पर्याप्त नहीं है। दूसरी परेशान करने वाली
बात यह है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा आवंटित इस अल्प राशि का भी ठीक ढंग से उपयोग
नहीं हो पाता है। प्रदेश में अल्पसंख्यक आयोग में न तो अध्यक्ष है और न ही मौलाना
आज़ाद माइनॉरिटी फाइनेंस डेवलपमेंट कारपोरेशन और महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड में फुल
टाइम सीईओ।
महाराष्ट्र सरकार के जीआर संख्या:अविवि
2010/प्र.क्र.3/10/का.9 दिनांक 29/4/2011 के अनुसार प्रधान मंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रमों
के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु ज़िला स्तर पर एक कमिटी का गठन किये
जाने का प्रावधान किया गया था, किन्तु यह कमिटी भी कई सालों से निष्क्रिय है और
साल भर में एक बैठक भी नहीं कर पाती है।
एम् पी जे ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार को मेमोरेंडम सौंप कर अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु निम्नलिखित मांगें राखी हैं:
एम् पी जे ने जिलाधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार को मेमोरेंडम सौंप कर अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु निम्नलिखित मांगें राखी हैं:
- सच्चर समिति की सिफारिशों को पुर्णतः लागू किया जाए,
- प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम और एमएसडीपी का समय पर और उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए,
- माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के सिफारिश के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के आरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाया जाए,
- विभिन्न अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं को लागू करने वाले विभागों में सालों से रिक्त पदों पर स्टाफ की नियुक्ति की जाए,
- अल्पसंख्यकों के लिए राज्य के कल्याण के बजट को बढ़ाया जाए,
- सच्चर समिति के सिफारिश के अनुसार एक समान अवसर आयोग और स्वायत्त आकलन तथा निगरानी प्राधिकरण का गठन किया जाए।
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