मुंबई --- बंबई हाईकोर्ट के एक फैसले ने महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक समुदायों के लगभग साढ़े तीन लाख छात्रों को प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति मिलने का मार्ग प्रशस्त किया है! गौरतलब है कि वर्ष 2015-16 में अल्पसंख्यक समुदायों के लगभग 4 लाख छात्र राज्य सरकार की वेबसाइट में तकनीकी खराबी के कारण पूर्व मैट्रिक छात्रवृत्ति से वंचित कर दिये गए थे! अल्पसंख्यक समुदाय की शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी 15 सूत्री कार्यक्रम में विभिन्न शैक्षिक स्कालरशिप को शामिल किया गया था, जिसका उद्देश्य इस वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करनेके साथ साथ स्कूल छोड़ने की दर को कम करना है। लेकिन वर्ष 2015- 16 में लाभ के हकदार अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग चार लाख छात्रों को वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हो सकी थी! जिसका ख़ुलासा एक आरटीई के तहत प्राप्त उत्तर से हुआ था!
दरअसल
"मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपी जे)" ने राज्य में अल्पसंख्यक
छात्रवृत्ति योजना के कार्यान्वयन की सच्चाई जानने के लिए एक आर टी आई दाख़िल किया था!
जिसके जवाब में सम्बंधित शिक्षा विभाग ने इस बात को स्वीकार किया कि 53 प्रतिशत से
अधिक छात्रों द्वारा पूर्व मैट्रिक छात्रवृत्ति के नवीकरण के लिए आवेदन प्राप्त नहीं
हो सका! एम पी जे द्वारा एकत्र की गयी जानकारी ने इस बात का खुलासा किया था कि राज्य
में नवीकरण के लिए 7,17,896 आवेदन प्राप्त होनी चाहिए थीं, लेकिन केवल 3,30,776 आवेदन
ही प्राप्त हो सका! एमपी जे को बड़ी संख्या में छात्रवृत्ति से वंचित कर दियेगए लाखों
छात्रों को न्याय दिलाने के लिए जन हित याचिका के द्वारा बंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना
पड़ा! इस पीआईएल पर बंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने छात्रों को राहत दी और गरीबी
से जूझ रही अल्पसंख्यक वर्गों के छात्रों को वित्तीय सहायता देने का मार्ग प्रशस्त
किया!
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