मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर
(एम् पी जे) ने 10 दिसम्बर
2016 को मुम्बई मराठी पत्रकार संघ में मानवाधिकार दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित कर
के राज्य में मानवाधिकार की वर्त्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श किया। इस कार्यक्रम में श्री जस्टिस(रिटायर्ड) होस्बेट सुरेश,
बॉम्बे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, श्री युसूफ हातिम मुछाला, इकरा विमेंस
फाउंडेशन की अध्यक्षा श्रीमती उज़मा नाहिद तथा एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स के राज्य
संयोजक श्री असलम ग़ाज़ी ने लोगों के सामने इस विषय पर सविस्तार अपनी बातें रखीं। गौर तलब
है कि, हर साल दस दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार दिवस मनाया जाता
है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व स्तर पर मानवीय गरिमा बरक़रार रखने और
लोगों में इंसानों के अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है।
दुनिया भर में यह सन्देश देने का प्रयास किया जाता है कि, इस धरती पर जन्म लेने वाला हर इंसान इज्ज़तदार
ज़िन्दगी जीने का हक़दार है और उसके साथ राष्ट्रीयता, लिंग,
नस्ल, जाति, रंग, धर्म,
एवं भाषा इत्यादि की बुनियाद पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
इस अवसर पर श्री जस्टिस(रिटायर्ड) होस्बेट सुरेश
ने नोट बंदी से लेकर अनेक मानवाधिकार उल्लंघन पर लोगों का मार्गदर्शन किया। उन्हों ने
कहा की आज़ादी के बाद से ही मानवाधिकारों का अवमूल्यन शुरू हो गया था, जिसके नतीजे में अमीर तबक़ा अप्रत्याशित रूप
से और अमीर होता चला गया और ग़रीबों की तादाद घटने के बजाए बढ़ती चली गयी। उन्हों ने
वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए कहा कि,
आज मानवाधिकार पर बात करने वालों खासकर कार्यकर्ताओं में एक डर का माहौल व्याप्त
है जो अपने आप में ही मानवाधिकारों का बहुत बड़ा उल्लंघन है। आज अगर कोई मानवाधिकार
के मुद्दे पर बात करता है और अधिकारों के हनन पर ऊँगली उठता है, तो उसे देशद्रोही क़रार दे दिया जाता है।
उनका कहना था कि, इन सब के बावजूद
लोगों को मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए और सरकारी मशीनरी के साथ बैठ
कर इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। उन्हों ने राज्य में मानवाधिकारों के मामलों का सोशल
ऑडिट करने की भी सलाह दी।
श्री युसूफ मुछाला ने राज्य में विभिन्न प्रकार के अधिकारों के हनन पर प्रकाश डालते हुए नोटबंदी के कारण हो रहे मानवाधिकारों के हनन और सरकार के रुख पर बात की। उनका कहना था कि, आप के पास पैसे हैं मगर आप उसे इस्तेमाल नहीं कर सकते। पैसे रहने के बावजूद लोग भूखे रहने को मजबूर हैं और स्वास्थ्य का अधिकार भी इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं हैं।
श्रीमती उज़मा नाहिद ने औरतों के अधिकारों के हनन
पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए आगे आने
की अपील की। इस अवसर पर श्री असलम ग़ाज़ी ने कहा कि,
आज अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस है किन्तु बड़े अफ़सोस की बात है कि, आज मेनस्ट्रीम मीडिया में इस पर चर्चा तक
नहीं है और इन पत्र-पत्रिकाओं में हॉलीवुड कलाकारों की निजी जिंदगियों पर बहस हो रही
है।
एम् पी जे के प्रदेश अध्यक्ष श्री मुहम्मद सिराज
ने कहा कि, यूँ तो कानून की निगाह में सभी बराबर हैं और सभी बिना भेदभाव
के समान कानूनी सुरक्षा के हक़दार हैं। किन्तु वास्तव में ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा है।
सिराज ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों द्वारा भारत में मानवधिकार के
हनन को लेकर पेश की गयी रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त व्यक्त करते हुए प्रेस की आजादी
पर मंडरा रहे खतरों से लेकर सिविल सोसाइटी की आवाज़ को जबरन बंद करने की हो रही कोशिशों
की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित किया। उन्हों ने कहा कि, आज महिलाओं, बच्चों और कमज़ोर वर्ग के ख़िलाफ़ तो हिंसा
और उनके अधिकारों का हनन आम बात हो गयी है।
मीडिया कवरेज
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