हर संगठन, संस्थान एवं
आन्दोलन के कुछ उद्देश्य तथा लक्ष्य होते हैं तथा एम.पी.जे. कोई अपवाद नहीं
है! हमने भी अपने उद्देश्य तथा लक्ष्य निर्धारित किये हैं! हमारे लिए उद्देश्य तथा लक्ष्य तय करना आसान
काम नहीं था, क्योंकि हम जीवन के हर क्षेत्र में काम करने की ज़रुरत को महसूस कर
रहे थे! हम इस बात से भी भली भांति परिचित हैं कि, हमारे समाज में सदियों से
सामाजिक एवं आर्थिक असामनता, विषमता, जातीय एवं वर्गीय संघर्ष तथा भेद भाव व्याप्त
रहा है! इसके अलावा देश को कड़ी मशक्क़त के बाद मिली आज़ादी के बाद जो सरकारें बनीं,
वह भी जनता की ज़िन्दगी में सकारात्मक बदलाव लाने में असफल रहीं हैं! इन सब कारणों से जनता की ज़िन्दगी लगातार बद से बदतर होती रही तथा समाज में सामाजिक एवं
आर्थिक विषमता अपनी जड़ें जमाती रहीं! इसका सीधा असर जनता की ज़िन्दगी पर साफ़ तौर से
दीखता रहा! राजनितिक एवं प्रशासनिक अकर्मण्यता तथा भ्रष्टाचार में लिप्त हमारी
शासकीय प्रणाली ने भी लोगों को बदतर जीवन जीने पर मजबूर कर दिया! इन सब कारकों की वजह से ही समाज में विभिन्न
समस्याओं का जन्म हुआ! ग़रीबी, बेरोज़गारी, असमानता, लैंगिक भेदभाव, बीमारी तथा सांप्रदायिक
एवं जातीय तनाव जैसी अनेक समस्याएं पैदा हुईं! हमारा समाज हिंसा का शिकार हुए बिना
नहीं रह सका! लोगों की जीवन के हर क्षेत्र में अन्याय की शिकायतें आम तौर पर सुनायी देने लगीं!
आज हर आदमी की इच्छा होती है कि, वह एक
शांति पूर्ण ज़िन्दगी गुज़ारे, जो हमारी आज़ादी की लड़ाई का एक बड़ा मक़सद था! किन्तु, एम.पी.जे.
यह महसूस करता है कि, आज भी जनता को उसका बुनियादी हक़ प्राप्त नहीं हो सका है!
इसलिए हमने यह तय किया कि, हम एक ऐसा समाज बनायें, जहाँ शांति और न्याय हो! अतः हम
शांति एवं न्याय की स्थापना में बाधक ग़रीबी, बीमारी, भूख, बेरोज़गारी, असमानता तथा
मानव अधिकारों के हनन जैसे अनेक मुद्दों को जड़ से समाप्त करने के लिए संकल्प बद्ध
हो गए! इसी लिए हमने सामाजिक न्याय की स्थापना के अपने पुनीत प्रयास को मूवमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस का नाम दिया
तथा हम नाम के अनुरूप ही समाज में शांति एवं न्याय की स्थापना को मुख्य
उद्देश्य तथा लक्ष्य के रूप में निर्धारित किया है! इसी उद्देश्य तथा लक्ष्य की
प्राप्ति के लिए हम प्रयास रत हैं!
लक्ष्य समूह: एम.पी.जे. समाज के किसी
धर्म, जाति, सम्प्रदाए एवं वर्ग विशेष के लिए कार्य नहीं करता, बल्कि हमारा लक्ष्य
हर वह वंचित वर्ग है, जिसे उसका प्राकृतिक, मानवीय एवं संविधान सम्मत अधिकार न मिल
रहा हो अथवा उसे वैधानिक या नैतिक न्याय से वंचित रखा जा रहा हो! क्योंकि हम समझते
हैं कि, जब तक अधिकारों का हनन होता रहेगा और लोगों को समुचित न्याय से वंचित रखा
जायेगा, तब तक न तो देश का विकास होगा और न ही शांतिपूर्ण सामाजिक माहौल की
स्थापना ही संभव हो पायेगी! हमारा काम बढती हुई सामाजिक एवं आर्थिक विषमताओं को
लगाम लगा कर बेहतर नैतिक मूल्यों पर आधारित एक आदर्श समाज की स्थापना हो सके,
जिसमे सब को सामाजिक एवं आर्थिक न्याय की प्राप्ति हो सके, जो हमारे संविधान का
मूल मंत्र है!
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